पशु गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी, लगातार भरपूर दूध देता रहे तो पशुपालक भी खूब खुश रहता है. लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता है. हालांकि इसकी कई वजह हैं. वजह कुछ छोटी हैं तो कुछ बड़ी. कुछ ऐसी हैं जिनका इलाज घर पर ही किया जा सकता है, वहीं कुछ ऐसी हैं कि जिसके लिए पशु डॉक्टर या एक्सपर्ट के पास अस्पताल तक जाना पड़ता है. खासतौर पर गर्मियों में ये परेशानी आम हो जाती है. ज्यादातर पशुपालकों की ये शिकायत होती है कि गर्मी आते ही पशुओं का दूध घट जाता है. लेकिन एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो गर्मियों के दौरान पशुओं के खानपान को लेकर अलर्ट रहा जाए तो दूध उत्पादन नहीं घटेगा.
गर्मी में भी पशु को उसकी जरूरत के हिसाब से खुराक मिलती रहे, पीने का पानी देते रहें और मौसम के हिसाब से उसकी देखभाल हो तो दूध उत्पादन कम नहीं होगा. गर्मियों के दौरान कमी के चलते हरा चारा महंगा हो जाता है. जिसके चलते कई बार पशु की खुराक में कमी रह जाती है या महंगाई के चलते पशुपालक लापरवाही बरतते हैं. ये भी दूध उत्पादन कम होने का बड़ा कारण होता है. इसी को देखते हुए एनिमल न्यूट्रिशन एक्सपर्ट ने दूध देने वाले पशुओं की खुराक उनकी अवस्था के हिसाब से तय की है.
एनिमल न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉ. दिनेश भोंसले का कहना है कि गाय-भैंस हो या फिर भेड़-बकरी, सभी से ज्यादा और अच्छा दूध लेने के लिए जरूरी है कि उसका खानपान भी अच्छा हो, पशु की नस्ल अच्छी हो जिससे जब उसका बछड़ा हो तो उसकी ग्रोथ अच्छी हो और उत्पादन ज्यादा दे. लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि हमारा पूरा ध्यान दूध उत्पादन पर ही रहता है, पशुओं के खानपान पर हम ध्यान नहीं देते हैं. जबकि सामान्या नियम भी ये है कि गाय-भैंस को कम से कम 10 किलो हरा चारा, पांच किलो सूखा चारा जरूर देना चाहिए. जब इतना खिलाएंगे तभी वो ठीक से दूध भी देगी. इतना ही नहीं अगर गाय-भैंस पांच किलो दूध देती है तो उसे कम से कम 2.5 किलो मिनरल मिक्चर भी खिलाना होगा.
डॉ. दिनेश का कहना है कि आज हमारे देश में पशुओं की नस्ल सुधार के लिए सेक्स सॉर्टेड सीमेन जैसी तकनीक है. इसकी मदद से हम पशु से हर बार बछिया ले सकते हैं. आज देशभर में सीमेन बैंक भी हैं. आईवीएफ की मदद से उच्च गुणवत्ता वाले सीमेन का फायदा लेकर अच्छे बछड़े तैयार किए जा सकते हैं. हर राज्य और शहर में सरकारी-प्राइवेट सीमेन सेंटर हैं. सरकारी सेंटर पर तो बहुत ही कम रेट पर अच्छी क्वालिटी का सीमेन मिल जाता है. अब तो बुलावे पर घर-गांव में आकर भी पैरा वैट आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक से पशु को गाभिन करने आते हैं.
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