पंजाब के अजनाला में हाल में आई बाढ़ ने इंसानों के साथ-साथ पशुओं को भी काफी नुकसान पहुंचाया है. अजनाला में 140 गांव बाढ़ की चपेट में आए हैं और करीब 57 हजार पशु इस आपदा से प्रभावित हुए हैं. हालात को देखते हुए पंजाब सरकार ने पशुओं के इलाज और देखभाल के लिए 16 राहत शिविर बनाए हैं. पशुपालन विभाग के सहायक उपनिदेशक रवींद्र सिंह कंग ने जानकारी दी कि विभाग की टीमें और सामाजिक संगठन लगातार गांव-गांव जाकर प्रभावित पशुओं को इलाज और चारा उपलब्ध करा रहे हैं.
रवींद्र सिंह के मुताबिक, बाढ़ के पानी में फंसे कई पशुओं के पैरों में संक्रमण फैल गया है, जबकि चारे की कमी और लगातार पानी में रहने से कई जानवर तनाव की स्थिति से गुजर रहे हैं. उन्होंने पशुपालकों से अपील की कि वे इस कठिन समय में अपने मवेशियों की विशेष देखभाल करें और नियमित रूप से डॉक्टरों से संपर्क बनाए रखें.
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दिनों में तापमान बढ़ने वाला है, ऐसे में पशुओं को हरे चारे और पौष्टिक आहार की जरूरत और भी बढ़ जाएगी. पशुपालन विभाग लगातार यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में कोई भी पशु बिना इलाज और भोजन के न रहे.
इसी बीच, अजनाला के ही एक राहत शिविर में तैनात पशु चिकित्सक डॉ. प्रदीप सिंह ने बताया कि अब तक बाढ़ से बीमार या घायल करीब 160 पशु उपचार के लिए लाए गए हैं. इनमें से 50 से 60 पशु फिलहाल शिविर में रह रहे हैं, जबकि बाकी स्वस्थ होकर वापस अपने घर भेजे जा चुके हैं. डॉ. सिंह ने कहा कि यहां गाय, बकरी, कुत्ते और बिल्लियों तक का मुफ्त इलाज किया जा रहा है और सरकार सभी पशुओं के लिए दवाइयां और चारा उपलब्ध करा रही है.
उन्होंने यह भी बताया कि अजनाला क्षेत्र के गांवों से जुड़े कुल 10 राहत पशु शिविर सक्रिय हैं और लगातार निगरानी कर रहे हैं. जब तक बाढ़ का पानी पूरी तरह नहीं उतर जाता, प्रभावित पशुओं को शिविरों में ही रखा जाएगा. डॉक्टरों का कहना है कि पशुओं को मालिकों के पास तभी भेजा जाएगा, जब उनके रहने के स्थान सुरक्षित और सूखे हो जाएंगे.
स्थानीय पशुपालकों ने सरकार की इस पहल की सराहना की है. उनका कहना है कि मुफ्त इलाज और भोजन की सुविधा से उनके मवेशियों को नई उम्मीद मिली है. उन्होंने बताया कि जब हालात बिगड़े तो उन्हें सबसे बड़ा डर अपने पशुओं को लेकर था, लेकिन अब यह राहत है कि सरकार और विभाग पूरी तरह उनके साथ खड़े हैं.
बाढ़ से जूझ रहे अजनाला इलाके में यह शिविर न केवल इलाज का केंद्र बने हैं, बल्कि पशुपालकों के लिए भरोसे का सहारा भी साबित हो रहे हैं. पशुपालन विभाग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी पशु को बिना इलाज और भोजन के नहीं छोड़ा जाएगा और हर संभव सहायता उनके मालिकों तक पहुंचाई जाएगी. (एएनआई)