भारत के अधिकांश लोग केवल खेती पर निर्भर हैं. इनमें से कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके पास खेती का बड़ा रकबा नहीं है या ये किसान दूसरों के खेत पर मजदूरी करते हैं. ऐसे किसान पशुपालन कर अपनी आय का जरिया बनाते हैं. पशुपालन के कई तरह के विकल्प हैं लोग मुर्गी पालन, भेड़ पालन, गाय- भैंस पालन आदि पालकर आय कमाते हैं. ऐसे ही बकरी पालन का भी देश में बहुत महत्व है, जो छोटे और मध्यम किसानों की आय का जरिया बन हुआ है.
मध्य प्रदेश सरकार भी किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए बकरी पालन को बढ़ावा दे रही है. इस संबंध में मध्य प्रदेश के पशुपालन विभाग ने एक योजना शुरू की है. इस योजना के तहत प्रदेश सरकार राज्य की बकरियों की नस्ल में सुधार करना चाहती है. इस उद्देश्य के साथ योजना के तहत किसानों को 25 फीसदी खर्च पर देसी नस्ल की बकरा दिया जा रहा है. आइये जानते हैं कि ये योजना क्या है किसान कैसे इसका लाभ उठा सकते हैं.
मध्य प्रदेश सरकार ने नर बकरा प्रदाय योजना शुरू की है. इसी योजना का लाभ उठा कर किसान 25 फीसदी खर्च पर देसी नस्ल की बकरा घर ले जा सकते हैं. इस योजना का लाभ मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के भूमिहीन किसानों और बेरोजगार लोगों को मिलेगा. वहीं जिनके पास कई बकरियां हैं. वे ही किसान इस योजना का लाभ उठा सकते है. असल में इस योजना के तहत मध्य प्रदेश सरकार किसानों को देशी नस्ल का बकरा दे रही है. जिसे किसान बकरियों के बीच रख सकेंगे. साथ ही देशी नस्ल के बकरों से किसानों की बकरी फार्म में देशी नस्लों की बकरा-बकरी का कुनबा बढ़ेगा.
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इस योजना के तहत अनुदान (सब्सिडी) लेने के लिए किसानों को आवेदन करना होगा. किसान पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु औषधालय के प्रभारी/ उपसंचालक और पशु चिकित्सा कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं. इस योजना का लाभ सभी वर्ग के लोग उठा सकते हैं इसके अंतर्गत सभी आवेदकों को कुल लागत राशि का केवल 25 फीसदी देना होगा, शेष 75 फीसदी के अनुदान राशि का प्रावधान है.
इस तरह की योजनाओं से प्रदेश के किसानों को खासतौर पर छोटे और बेरोजगार किसानों को रोजगार का साधन मिलेगा साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति में बदलाव देखा गया. इस योजना के माध्यम से बकरियों के रखरखाव और खानपान में भी सकारात्मक बदलाव होने की उम्मीद है.
मध्य प्रदेश सरकार बकरा प्रदाय योजना के तहत सब्सिडी पर देसी नस्लों के बकरे दे रही है. जिसके तहत किसानों को बकरी के कुनबा बढ़ाने के लिए जमनापारी, बारबरी और सिरोही किस्म के बकरे सब्सिडी पर दिए जा रहे है. माना जा रहा है कि योजना का लाभ अधिक किसान उठाते हैं तो प्रदेश में देशी नस्लों की बकरियों की संख्या देश में सबसे अधिक हो सकती है.
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