झारखंड में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन विभाग की तरफ से सेक्स सोर्टेड सिमेन की शुरुआत की गई थी. राज्य में अब इसके बेहतर परिणाम दिखाई दे रहे हैं. झारखंड में दुधारू पशुओं के नस्ल में सुधार लाने के लिए पशुपालन विभाग की तरफ से इस योजना की शुरूआत की गई थी. इस योजना के तहत गायों को सेक्स सॉर्टेड सिमेन से कृत्रिम गर्भाधान कराया गया था. इस सिमेन के गर्भाधान कराए गए गाय अब बच्चे देने लगे हैं. लगभग 100 से अधिक गायों ने बच्चों को जन्म दिया है. उनमें 85 से अधिक बच्चे बछिया हैं. राज्य में नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत इसका प्रयोग किया गया था. इसके बाद से विभाग लगातार नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत इसका इस्तेमाल कर रहा है.
अपने गाय को सेक्स सॉर्टेड सिमेन से कृत्रिम गर्भाधान कराने पर पशुपालकों को 500 रुपये का भुगतान करना पड़ता है. इस स्कीम के तहत राज्य में अब तक लगभग 5000 से अधिक गायों का कृत्रिम गर्भाधान हो चुका है. इसमें करीब 900 पशुओं में गर्भ धारण करने लक्षण प्राप्त हुए हैं. राज्य में इस योजना के सफल संचालन करने के लिए विभाग ने देश के कई नामी संस्थानों से सिमेन मंगवाया है. भारत सरकार के सहयोग से यह योजना झारखंड में चलाई जा रही है. झारखंड में इस योजना को झारखंड राज्य इंप्लीमेंटिंग एजेंसी के द्वारा चलाया जा रहा है. यह एक बहुत अच्छी स्कीम है इसका फायदा आने वाले समय में राज्य के पशुपालकों को होगा.
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योजना के तहत पशुपालक को अपने गाय के कृत्रिम गर्भाधान कराने लिए 500 रुपये का भुगतान करना पड़ता है. इससे गाय के गाभिन होने की गारंटी दी जाती है और कहा जाता है कि जो बच्चा होगा वो बछिया होगा. योजना के तहत गाय के गाभिन नहीं होने पर दो बार कृत्रिम गर्माधान किया जाएगा और फिर भी नहीं होने पर पशुपालकों को 500 रुपये वापस कर दिए जाएंगे. वहीं अगर बाछा पैदा हो जाए तो 250 रुपये वापस कर दिए जाएंगे. योजना के सफलापूर्वक चलाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कर्मियों को विभाग की तरफ से सभी तरह के संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं. पशुपालकों से 500 से अधिक राशि कोई नहीं ले सकता है.
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सेक्स सॉर्टेड सिमेन तकनीक में मवेशियों के सिमेन से मेल क्रोमोजोम को अलग कर दिया जाता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि गाय कृत्रिम गर्भाधान के बाद जो भी बच्चे को जन्म देगी वह बछिया ही होगी. इस तकनीक से नर बछड़े के जन्म को रोकने में मदद मिलती है. साथ ही बछिया अच्छी नस्ल की होती है जिससे दूध उत्पादन को बढ़ावा मिलता है. बछिया की संख्या बढ़ेगी और दूध उत्पादन भी बढ़ेगा. इस सिमेन का इस्तेमाल ज्यादार गायों में ही किया जाता है. वर्तमान में देश के कई राज्यों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.