Dairy: गुजरात के हीरा कारोबारी को ऐसे मिला गौशाला का सुपरहिट मॉडल

Dairy: गुजरात के हीरा कारोबारी को ऐसे मिला गौशाला का सुपरहिट मॉडल

चंदू भाई ने किसान तक से बात करते हुए कहा कि 2016 से पहले वो मुंबई में रहते थे. 25 सालों से वह डायमंड के बिजनेस में थे, पर परिवार में कैंसर से हुई मौतों ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया. इसके बाद उन्होंने गौशाला के सुपरहिट मॉडल की तलाश की और आज वो सफल हैं.

गौशाला में बैठी गिर गाय                          फोटोः किसान तकगौशाला में बैठी गिर गाय फोटोः किसान तक
पवन कुमार
  • Ranchi,
  • Jan 25, 2023,
  • Updated Jan 25, 2023, 1:23 PM IST

देसी गाय का गोबर और गोमूत्र की मदद से ना सिर्फ एक किसान अच्छी खेती करके पौष्टिक फसल और सब्जियां उगा सकता है बल्कि इसके गोबर, दूध, दही और गोमूत्र से तैयार की गई औषधि, कैंसर जैसे खतरनाक रोग से भी लोगों को बचा सकती है. गुजरात के सूरत में रहने वाले चंदू सुरानी ने इस चीज को ना सिर्फ समझा बल्कि उसे अपने जीवन में अमल में लेकर आए और इसी का परिणाम है कि आज उनके पास एक ऐसी गौशाला हैं जिसमें सिर्फ देसी गिर गायें हैं. देसी गाय के गौशाला का यह मॉडल आज सुपरहिट है.

चंदु भाई बताते हैं कि उनका यह गौशाला मॉडल इसलिए सुपर हिट है, क्योंकि उन्होंने इस मिथक को तोड़ा है कि देसी गायों की गौशाला से आप पैसे नहीं कमा सकते हैं या फिर यह एक फायदेमंद बिजनेस नहीं है. आज उनकी गौशाला में 350 से ऊपर गायें हैं जिनमें लगभग 60 गायें दूध देती हैं और उन्हें नुकसान भी नहीं है. उन्होंने अपने मॉडल को इस तरह से बनाया है कि उन्हें फायदा हो रहा है. उन्होंने सिर्फ दूध पर जोर नहीं दिया है, बल्कि दूध के अलावा अन्य उत्पादों पर भी काफी जोर दिया है. 

इस तरह डेयरी के व्यवसाय में आए चंदू भाई

चंदू भाई ने किसान तक से बात करते हुए कहा कि 2016 से पहले वो मुंबई में रहते थे और हीरा कारोबारी का कार्य करते थे. 25 सालों से वह डायमंड के बिजनेस में थे, पर परिवार में कैंसर से हुई मौतों ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया. इसके बाद उन्होंने गाय बचेगी तो दुनिया बचेगी की सोच के साथ गौ संवर्धन का कार्य चुना. उनके परिवार में तीन लोगों की मौत कैंसर से हो गई, इस त्रासदी के बाद उन्होंने इसके कारणों पर काफी रिसर्च किया. इसके बाद अपना बिजनेस बंद करके दो साल तक सिर्फ अलग अलग जगहों पर जाकर देखते रहे. इस दौरान उन्होंने पाया कि कोई भी गौशाला प्रोफिटेबल बिजनेस नहीं है. 

पंचगव्य उत्पाद बनाना शुरू किया

चंदू भाई बताते हैं कि उनकी तलाश चेन्नई में पूरी हुई, जहां पर उन्हें एक गौशाला मिली जो प्रोफिट में चल रही थी. उस गौशाला में देसी गाय के गोमूत्र से उत्पाद बनते थे. इसके अलावा उससे बीमारियों का इलाज भी होता था. उन्होंने देखा कि किस तरह से गाय के गोबर, गोमूत्र, घी और दूध से विभिन्न रोगों का इलाज किया जा रहा है. यह एक फायदे का बिजनेस था, इसलिए उन्होंने इस मॉडल को चुना. काफी खर्च करने के बाद अच्छी नस्ल की गाय और सांड तैयार करने लगे. इसके साथा-साथ उन्होंने पंचगव्य उत्पाद भी बनाना शुरू किया. अब पिछले चार साल से उनकी गौशाला फायदे में चल रही है. चंदू भाई की गौशाला में गोबर के गमले, पेन स्टैंड, चप्पल की रिंग जैसे कई उत्पाद बनाए जाते हैं. 

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