पिछले कुछ सालों में यूपी, एमपी और छत्तीसगढ़ में किसानों द्वारा छोड़े गए बेसहारा गोवंश की समस्या गंभीर हो गई है. इन राज्यों में इसे 'अन्ना कुप्रथा' का नाम दिया गया है. अन्ना जानवरों द्वारा किसानों की फसलें चौपट करने के कारण किसान ताे परेशान हैं ही, साथ ही सड़कों पर अन्ना पशुओं के कारण हाे रहे हादसों की समस्या से सरकारें भी परेशान हैं. इन राज्यों की सरकारें इस कुप्रथा से निपटने के लिए अपने स्तर पर तमाम उपाय कर रही हैं, लेकिन समस्या का समाधान होने के बजाय यह संकट गहराता जा रहा है. इस कड़ी में छत्तीसगढ़ के तमाम जिलों में स्थानीय प्रशासन ने अन्ना जानवरों को छोड़ने वालों पर जुर्माना लगाने से लेकर छुट्टा गोवंश को रेडियम बेल्ट पहनाने की अनूठी पहल की है.
छत्तीसगढ़ में सड़कों पर घूमते बेसहारा अन्ना जानवरों को घुमंतू गोवंश कहा जा रहा है. छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने, किसान अपने पालतू पशु घर में बांध कर रखें, इसके लिए 'गोधन न्याय योजना' चलाकर पशुपालकों से गोबर खरीद कर इससे वर्मी कम्पोस्ट बनाकर प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को इसे रियायती दरों पर बेचने की पहल की है. इसके बावजूद बड़ी संख्या में किसान अन्ना कुप्रथा से खुद को अलग नहीं रख पा रहे हैं.
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बीजापुर के कलेक्टर राजेन्द्र कुमार कटारा ने निर्देश दिया है कि जिला प्रशासन ने आवारा पशुओं को पकड़ने एवं पशुपालकों के विरुद्ध चालान करने की कार्रवाई शुरू कर दी है. पशुधन विभाग के उप संचालक डॉ. एसएस राजपूत ने बताया कि जिले में भैरमगढ़ से लेकर भोपालपटनम तक राष्ट्रीय राजमार्ग में संबद्ध विभागों की संयुक्त टीमें लगातार कार्रवाई कर रही है. इसमें पशुपालकों से जुर्माना भी वसूला जा रहा है.
इस अभियान के तहत की जा रही कार्रवाई में नगरीय निकाय, पशुधन विभाग, पुलिस एवं ट्रैफिक पुलिस की टीमों को लगाया गया है. डॉ राजपूत ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में बंद हो चुके तमाम कांजी हाउस को फिर से शुरू किया गया है. इनमें आवारा पशुओं को रखा जा रहा है. इस मुहिम के तहत पशुपालकों से अभी तक 5 हजार रुपये से ज्यादा जुर्माने की वसूली भी की जा चुकी है. इसके तहत जिला प्रशासन ने आवारा गाय की जब्ती होने पर 200 रुपये प्रति गाय और भैंस के लिए 300 रुपये की दर से जुर्माना राशि निर्धारित की है.
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इसके अलावा राजमार्गों के नजदीक बसे जिन गांवों में तत्काल आवारा पशुओं को कांजी हाऊस में भेजना संभव नहीं है, वहां सड़कों पर पाए गए आवरा गोवंश को रेडियम बेल्ट की पट्टी पहनाई जा रही है. जिससे रात के समय वाहन चालकों को रेडियम बेल्ट की चमक दिख जाए और संभावित हादसे को टाला जा सके. जिला प्रशासन की ओर से बताया गया कि इस मुहिम के तहत अब तक 416 गोवंश के गले में रेडियम बेल्ट की पट्टी लगाई जा चुकी है. यह पट्टी रात में वाहन की लाइट की रोशनी पड़ने पर चकमती है.
प्रशासन ने भरोसा जताया है कि इससे वाहन चालकों को भी सुविधा हो रही है और सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी. रेडियम बेल्ट के साथ-साथ आवारा पशुओं को टेंट में भी रखा जा रहा है. प्रशासन का कहना है कि आवारा पशुओं से सड़क हादसों को रोकने के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं.