बिहार में मत्स्य पालन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साथ-साथ व्यवसाय का एक सफल विकल्प बनकर उभर रहा है. आज राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी आबादी मत्स्य पालन के माध्यम से अपनी जीविका सुधार रही है. इसी क्रम में बिहार में मत्स्य पालन को और सशक्त बनाने के उद्देश्य से बुधवार को भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिक्खी की अध्यक्षता में केंद्र एवं राज्य स्तर पर एक महत्वपूर्ण फीडबैक सत्र आयोजित किया गया.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस बैठक में राज्य के सभी 38 जिलों से 200 से अधिक मछुआरे, मत्स्य सहकारी समितियों और संघों के प्रतिनिधि शामिल हुए. उन्होंने मत्स्य पालन से जुड़ी विभिन्न समस्याओं से अधिकारियों को अवगत कराया. विशेष रूप से, किसानों ने बीमा कवर, मछलियों को पकड़ने के लिए आवश्यक संयंत्र, और अन्य सुविधाओं की जरूरत पर जोर दिया.
बिहार के सभी जिलों से आए 200 से अधिक मत्स्य पालकों ने अपनी रोज़मर्रा की चुनौतियों और मछली पालन में मूलभूत जरूरतों के बारे में भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग के सचिव को अवगत कराया. इसमें मत्स्य पालकों ने मछलियों के संरक्षण हेतु कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि उनका कहना था कि कोल्ड चेन के अभाव में बड़ी मात्रा में मछली खराब हो जाती है. वहीं, मछली बाजार की स्थापना को लेकर भी बात हुई. उनका मानना है कि बाजार स्थापित होने से उत्पादक और उपभोक्ता के बीच सीधा संपर्क बन सकता है. इन मांगों के साथ उन्होंने सचिव के समक्ष पंगासियस और तिलापिया जैसी व्यावसायिक मछलियों के लिए प्रसंस्करण संयंत्र, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम, मछली पकड़ने वाले इलाकों में सोलर लाइट की व्यवस्था तथा बीमा कवर की उपलब्धता जैसे मुद्दों पर भी जोर दिया.
केंद्रीय सचिव डॉ. लिक्खी ने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना के लाभों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि मत्स्य किसानों को सस्ते और समय पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए यह योजना बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के तहत जागरूकता अभियान को और व्यापक बनाया जाए. उनका कहना था कि जब तक योजनाओं की जानकारी मछुआरों तक नहीं पहुंचेगी, तब तक वे उनके वास्तविक लाभ से वंचित रहेंगे.
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फीडबैक सत्र के दौरान बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की प्रमुख सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी मौजूद रहीं. वहीं, इनके अलावा आर्थिक सलाहकार (मत्स्य पालन विभाग), संयुक्त सचिव (आंतरिक मत्स्य), भारत सरकार, और मुख्य कार्यकारी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक का हिस्सा बने. इन अधिकारियों ने मछुआरों की समस्याओं और सुझावों को ध्यानपूर्वक सुना और उन्हें आगे की नीति निर्धारण प्रक्रिया में शामिल करने का आश्वासन दिया.
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मछली पालन क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कोल्ड स्टोरेज, प्रसंस्करण संयंत्र और मछली बाजार जैसे बुनियादी ढांचे का विकास किया जाता है, तो बिहार न केवल अपनी घरेलू मांग पूरी करेगा, बल्कि मछली उत्पादन और निर्यात में भी अग्रणी भूमिका निभा सकता है. हाल के वर्षों में बिहार मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ अन्य देशों को भी मछली भेज रहा है.