मौसम के पूर्वानुमान से जुड़ी एजेंसियां पहले ही आगाह कर चुकी हैं कि अल नीनो के असर की वजह से भारतीय उपमहाद्वीप में इस साल भीषण गर्मी पड़ेगी. ताजा अध्ययनों के आधार पर नया अपडेट यह है कि गर्मी के साथ भारत में उमस भी लोगों को खूब सताएगी. पर्यावरण से जुड़ी शोध संस्था CSE यानी Canter for Science and Environment ने वैश्विक स्तर पर किए गए शोध के हवाले से कहा है कि इस साल Extreme Weather Condition की घटनाओं में इजाफा होना तय है. रिपोर्ट के मुताबिक मौसम की इन अतिवादी घटनाओं का ही नतीजा अत्यधिक उमस भरी भीषण गर्मी होगी.
हाल ही में प्रकाशित हुई सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2024 काे गर्मी और उमस चरम पर पहुंचेगी. अंतरराष्ट्रीय जर्नल Geophysical Research Letters में प्रकाशित रिपोर्ट में भारत सहित अन्य Tropical Countries में गर्मी और उमस का कीर्तिमान कायम होने की आशंका 68 प्रतिशत तक आंकी गई है. वहीं, अकेले उत्तर भारत में इसकी संभावना 50 प्रतिशत बताई गई है. इस स्थिति Heat Stress का बढ़ना लाजमी है.
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वैज्ञानिकों का मानना है कि इस स्थिति के पीछे अल नीनो मुख्य वजह है. इसकी जड़ में जलवायु परिवर्तन है. रिपोर्ट के अनुसार धरती पर Global Warming से जुड़ी गतिविधियां प्रशांत महासागर में El Nino Effect को जन्म देती हैं. इसके कारण धरती पर भूमध्यरेखीय इलाकों के ऊपरी वायुमंडल में गर्मी और उमस बढ़ती है.
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रिपोर्ट के अनुसार इस साल ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी गतिविधियों में कमी न आने के कारण गर्मी और उमस का घातक गठजोड़ Tropical Climate वाले देशों के लिए परेशानी का सबब बनेगा. रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने पिछले 45 सालों की Extreme Weather Conditions के आंकड़ों के आधार पर यह आशंका व्यक्त की है. इसमें कहा गया है कि धरती का लगातार बढ़ रहा तापमान El Nino Effect के खतरे को भी लगातार गंभीर बना रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिक लगातार इस बात के लिए प्रयासरत हैं कि मौसम की चरम स्थितियों से जुड़े इस प्रकार के अनुमान 12 महीने पहले ही व्यक्त कर दिए जाएं. जिससे जलवायु परिवर्तन संबंधी चुनौतियों से निपटने की तैयारी करने का भरपूर समय मिल सके. अभी 5 महीने पहले तक ही इस तरह के हालात का अनुमान व्यक्त किया जा सकता है.
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