पहाड़ों में मौसम का मिजाज बदला हुआ नजर आ रहा है. इस बार जनवरी माह में भी बर्फबारी न होने से पर्यटन कारोबार पटरी से उतर गया है. बर्फबारी न होने से बागवानी क्षेत्र पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. ऐसे में पहाड़ों पर बर्फबारी की खबर से चेहरे उदास हो गए हैं. ताजा बर्फबारी को देखकर पर्यटकों में भी खुशी देखी जा रही है. दरअसल, शिमला जिले के नारकंडा, हाटू पीक और खड़ा पत्थर के कई इलाकों में दोपहर बाद मौसम बदला और अचानक बर्फबारी शुरू हो गई, कुछ ही देर में पहाड़ बर्फ की सफेद चादर से ढक गए. नारकंडा में बर्फ के फाहे गिरते देख पर्यटक खुशी से झूम उठे. जबकि खड़ा पत्थर में दो इंच से अधिक बर्फबारी हुई है. इससे स्थानीय बागवानों के चेहरे भी खिल उठे हैं. बागवान काफी समय से बर्फबारी का इंतजार कर रहे थे.
मौसम विभाग ने आज रात को भी शिमला, किन्नौर, लाहौल स्पीति, चंबा और कुल्लू के अधिक ऊंचाई वाले कुछेक स्थानों पर हल्की बर्फबारी होने की आशंका जताई है. जबकि गुरुवार से प्रदेशभर में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है. कई स्थानों पर न्यूनतम तापमान हिमांक बिंदु के आसपास रहा. जहां सुमदो और कल्पा में न्यूनतम तापमान माइनस 5.8 डिग्री और माइनस 3.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, वहीं नारकंडा, मनाली, भुंतर, मंडी और सुंदरनगर में यह माइनस 1.2 डिग्री, 0.2 डिग्री, 0.4 डिग्री, 1.1 डिग्री दर्ज किया गया. और क्रमश: 1.3 डिग्री.
सोलन और ऊना में रात का तापमान 2.2 डिग्री, शिमला में 3.1 डिग्री दर्ज किया गया. स्थानीय मौसम विज्ञान केंद्र ने 19 जनवरी को निचली पहाड़ियों में घने कोहरे की चेतावनी दी है और 24 जनवरी तक इस क्षेत्र में शुष्क मौसम की भविष्यवाणी की है.
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शुष्क दौर जारी है और जनवरी महीने के दौरान अब तक सभी 12 जिलों में वर्षा की कमी 100 प्रतिशत थी. किसान और सेब उत्पादक चिंतित हैं क्योंकि लंबे समय तक सूखा रहने से नवंबर और दिसंबर की शुरुआत में, खासकर वर्षा आधारित क्षेत्रों में बोई जाने वाली रबी फसलों को बहुत नुकसान हुआ था. शुष्क मौसम और सामान्य से अधिक तापमान सेब की फसल के लिए अनुकूल नहीं है, क्योंकि इसे सर्दियों के दौरान नमी और ठंडे घंटों की आवश्यकता होती है.
यह खबर ऐसे समय में आई है जब कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट में कहा गया था कि हिमाचल प्रदेश में पिछले 20 साल में सबसे कम बारिश और बर्फबारी हुई है. इसका सबसे बड़ा असर खेती पर देखने को मिलेगा क्योंकि यहां की खेती बर्फबारी और बारिश पर निर्भर है. पहाड़ों पर बर्फबारी न होने से सिंचाई के पानी की कमी हो सकती है. हालांकि, बुधवार-गुरुवार को हल्की बर्फबारी हुई, जिससे किसानों को राहत मिली.
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