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हिमाचल के इस जिले में गर्मी से सूख गए जल स्रोत, अब सिंचाई के लिए पानी की किल्लत, जानें कब होगी बारिश

हिमाचल के इस जिले में गर्मी से सूख गए जल स्रोत, अब सिंचाई के लिए पानी की किल्लत, जानें कब होगी बारिश

मध्यम और ऊंचाई वाले इलाकों में 14 जून को हल्की बारिश की संभावना है, जबकि 20 जून तक मौसम साफ रहने का अनुमान है. वहीं, भीषण गर्मी लू की वजह से जिले में पेयजल स्रोतों को बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. विभिन्न गांवों के निवासियों ने बताया कि उनके पारंपरिक जल स्रोत सूख गए हैं.

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हिमाचल प्रदेश में पानी की किल्लत. (सांकेतिक फोटो) हिमाचल प्रदेश में पानी की किल्लत. (सांकेतिक फोटो)

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में भीषण गर्मी ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. पिछले 24 घंटों में काला अंब, पांवटा साहिब, रोनहाट और ददाहू समेत मैदानी इलाकों में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है. शिलाई, हरिपुरधार, संगड़ाह, सराहन और राजगढ़ जैसे पहाड़ी इलाकों में पारा 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है, जबकि नाहन में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. मौसम विभाग ने अगले सप्ताह शुष्क मौसम का पूर्वानुमान लगाया है, जबकि मैदानी इलाकों में लू की चेतावनी दी है.

हालांकि, मध्यम और ऊंचाई वाले इलाकों में 14 जून को हल्की बारिश की संभावना है, जबकि 20 जून तक मौसम साफ रहने का अनुमान है. वहीं, भीषण गर्मी लू की वजह से जिले में पेयजल स्रोतों को बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. विभिन्न गांवों के निवासियों ने बताया कि उनके पारंपरिक जल स्रोत सूख गए हैं. बारिश पर निर्भर इलाकों में भी नुकसान हो रहा है, जहां किसान मक्का, धान और अन्य फसलें लगाने के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं. भीषण गर्मी के कारण दिन में बाजार सुनसान नजर आ रहे हैं, हालांकि ठंडे पेय पदार्थ और आइसक्रीम की बिक्री में तेजी आई है.

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गर्मी से आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी

वहीं, जंगल की आग में वृद्धि देखी गई है, क्योंकि फरवरी से अब तक 177 से अधिक ऐसी आग की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे निजी और सरकारी दोनों तरह की संपत्तियां प्रभावित हुई हैं. जिले का अग्निशमन विभाग इन आग पर काबू पाने के प्रयास कर रहा है. एक सरकारी अधिकारी ने आग को रोकने के लिए जंगलों के पास ‘बीड़ी’ और सिगरेट का उपयोग न करने की सलाह दी है. अधिकारी ने निवासियों से सरकारी और निजी संपत्तियों की सुरक्षा करने का आग्रह किया है. जल शक्ति विभाग के अनुसार, सिरमौर में 60 से अधिक पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं. जैसे-जैसे गर्मी जारी है, जिले में पानी की कमी और जंगल की आग दोनों ही गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं.

पंजाब में भूजल स्तर में गिरावट

बता दें कि कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि पंजाब में तेजी से गिर रहे भूजल स्तर को लेकर राज्य सरकार सतर्क हो गई है. कहा जा रहा है कि प्रदेश में भूजल स्तर के दोहन को कम करने के लिए कृषि विभाग वसंतकालीन मक्के की खेती पर रोक लगा सकती है. इसके लिए उसने वसंतकालीन मक्के की खेती पर कड़े प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है. खास बात यह है कि कृषि विभाग ने यह कदम उन रिपोर्टों के बाद उठाया गया है, जिनमें वसंत और गर्मियों में मक्का की खेती के बढ़ते चलन के कारण भूजल स्तर में खतरनाक गिरावट को जिम्मेदार ठहराया गया है.

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