राजस्थान के फतेहपुर शेखावाटी में लगातार आठ दिनों से घना कोहरा है. सूरज न निकलने के कारण 12 बजे तक विजिबिलिटी 15 मीटर रही. वहीं आज और कल दोनो दिन कोल्ड डे अलर्ट है. दिन के पारे मे 3 डिग्री की गिरावट दर्ज हुई है. ठंड का प्रकोर इतना है कि दोपहर 1 बजे तक कोहरा छाया रहा. दरअसल हिमालय के तराई क्षेत्रों में बर्फबारी के बाद चली सर्द हवाओं के बाद प्रदेश कड़ाके की सर्दी की जद में आ गया है. बीती रात से चल रही सर्द हवाओं के कारण नमी की मात्रा शत प्रतिशत तक पहुंच गई है.
मौसम विभाग के अनुसार अभी दो दिन घने से अति घना कोहरा छाने और तापमान में तीन से चार डिग्री की गिरावट दर्ज होने के आसार हैं. फतेहपुर में नए साल के तीसरे दिन भी सुबह घना कोहरा छाया रहा.
दोपहर तक सूरज कोहरे के आगोश में छिपा रहा. वहीं अधिकतम तापमान करीब साढ़े तीन डिग्री की गिरावट आने से कोल्ड डे की स्थिति रही. सर्द हवाओं के कारण गर्म कपड़े पहनने के बावजूद लोग ठिठुरते रहे. शाम होते ही सर्दी ने शिकंजा कस लिया. फतेहपुर में बुधवार को न्यूनतम तापमान 3.7 डिग्री दर्ज किया गया. मंगलवार को को अधिकतम तापमान 15.5 डिग्री और न्यूनतम तापमान 6.5 डिग्री दर्ज किया गया.
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मौसम केन्द्र जयपुर के अनुसार पूर्वानुमान के अनुसार आगामी 48 घंटों के दौरान जोधपुर और उदयपुर संभाग के कुछ भागों को छोड़कर प्रदेश के अधिकांश भागों में घने से अति घना कोहरा छाएगा. इस दौरान अधिकतम तापमान औसत से तीन से सात डिग्री तक नीचे दर्ज किया जाएगा. उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान में चार जनवरी तक शीत दिन रहेगा. वहीं कहीं-कहीं अति शीत दिन भी हो सकता है. आठ जनवरी तक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने का आसार है.
कृषि विभाग के अनुसार दोपहर से पहले ठंडी हवा चले और दोपहर बाद अचानक हवाएं थम जाए और आधी रात से ही हवा रुक जाए तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है. ऐसे में तीसरे और चौथे पहर में पाला पड़ने की संभावना रहती है. संयुक्त निदेशक कृषि राम निवास पालीवाल ने बताया कि पाला और शीतलहर के कारण सबसे अधिक नुकसान टमाटर, आलू, मिर्च, बैंगन आदि सब्जियों और पपीते के पौधों को होगा. साथ ही मटर, चना, धनिया, सौंफ आदि फसलों में होता है.
पाला और शीतलहर से बचाने के लिए खेत के उत्तरी पश्चिमी दिशा की मेड़ पर रात्रि में धुंआ करने और फसल में सिंचाई करने से तापमान बढ़ जाता है. इसके अलावा फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करने से सरसों, गेहूं चना, आलू, मटर जैसी फसलों में जैविक और रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है. (राकेश गुर्जर की रिपोर्ट)
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