तेज हवाओं से खराब हो सकती हैं बागवानी फसलें, IMD ने बचाव के लिए दिए ये सुझाव

तेज हवाओं से खराब हो सकती हैं बागवानी फसलें, IMD ने बचाव के लिए दिए ये सुझाव

तेज हवाओं और ओलावृष्टि के कारण सबसे ज्यादा प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ने की संभावना है. विशेष रूप से गेहूं, चना और मसूर जैसी खड़ी फसलों पर भारी बारिश का असर देखा जा सकता है. ओलावृष्टि से फसलों को क्षति हो सकती है और नुकसान की स्थिति में किसानों को अपनी फसलों के नुकसान की संभावना बढ़ सकती है.

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तेज हवाओं से खराब हो सकती हैं बागवानी फसलें, IMD ने बचाव के लिए दिए ये सुझावIMD ने फसलों को लेकर जारी की एडवाइजरी

पूर्वी और मध्य भारत में 20 से 22 मार्च 2025 तक मौसम में बड़ा बदलाव होने की संभावना है. मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश, तेज हवाएं, बिजली और बर्फबारी के साथ ओलावृष्टि से गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. इस मौसम का असर खास तौर पर कृषि, बागवानी और पशुपालन से जुड़े लोगों के जीवन पर देखने को मिल सकता है. ऐसे में किसानों की खड़ी फसलों और बागवानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD ने एडवाइजरी जारी की है, ताकि किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके. IMD की ओर से जारी इस एडवाइजरी में किसानों को कठोर मौसम से फसलों को बचाने के बारे में जानकारी दी गई है. आइए जानते हैं क्या है वो जानकारी.

तेज हवाओं और ओलावृष्टि का असर

तेज हवाओं और ओलावृष्टि के कारण सबसे ज्यादा प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ने की संभावना है. विशेष रूप से गेहूं, चना और मसूर जैसी खड़ी फसलों पर भारी बारिश का असर देखा जा सकता है. ओलावृष्टि से फसलों को क्षति हो सकती है और नुकसान की स्थिति में किसानों को अपनी फसलों के नुकसान की संभावना बढ़ सकती है. इस मौसम में अत्यधिक सतर्कता बरतना बहुत जरूरी है.

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बचाव के लिए क्या करें?

  • किसानों को अपनी फसलों को नुकसान से बचाने के लिए पहले से सुरक्षा उपायों को अपनाना चाहिए.
  • तेज हवाओं के कारण बागवानी फसलों को भी खतरा हो सकता है, इसलिए इन फसलों को सुरक्षित करने के लिए उचित इंतजाम किए जाने चाहिए. 
  • यदि संभव हो, तो फसलों को ढकने के लिए जाली या तंबू का प्रयोग करें ताकि ओलावृष्टि से नुकसान कम हो सके.

बागवानी फसलों को नुकसान

तेज हवाओं और बारिश के कारण बागवानी फसलों को भी नुकसान हो सकता है. आम, आमला, संतरा, और अन्य बागवानी फसलों को खासा नुकसान हो सकता है. तेज हवाओं से इन फसलों के पेड़ गिर सकते हैं और फल गिरने की संभावना बढ़ सकती है. इससे फसल का उत्पादन कम हो सकता है.

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बचाव के लिए क्या करें?

  • बागवानी के पेड़ों को सुरक्षित करने के लिए मजबूत खंभों या अन्य सुरक्षा उपायों का उपयोग करें.
  • यदि मुमकिन हो तो पेड़ों को अस्थायी ढंग से सहारा दें, ताकि वे तेज हवाओं से गिरने से बच सकें.
  • फलदार पेड़ों के नीचे पानी को जमा होने से रोकने के लिए उचित जल निकासी व्यवस्था करें. 

बिजली और गरज के साथ बारिश

इस मौसम में बिजली गिरने की भी संभावना है, जो खेतों, बागों और खुले क्षेत्रों में विशेष खतरे का कारण बन सकती है. ऐसे में पशुओं को खुले में ना बांधें. इसके अलावा, गरज के साथ बारिश किसानों और स्थानीय निवासियों के लिए भी खतरे की घंटी हो सकती है. बिजली गिरने के कारण आग लगने की घटनाएं भी हो सकती हैं. 

बचाव के लिए क्या करें?

  • खुले स्थानों में काम करते समय सुरक्षा उपायों का ध्यान रखें. 
  • खेतों में काम करते समय सावधानी बरतें और बाढ़ के कारण जलजमाव से बचने के लिए अपने उपकरणों को सुरक्षित रखें. 
  • बच्चों और बुजुर्गों को घर के अंदर ही रखें, खासकर जब गरज और बिजली की संभावना हो.

20 से 22 मार्च 2025 के बीच पूर्वी और मध्य भारत में मौसम में बदलाव की संभावना है, जो कृषि, बागवानी और आम जन-जीवन पर प्रभाव डाल सकता है. किसानों और स्थानीय निवासियों को इस दौरान अपनी फसलों, बागवानी और घरों को बचाने के लिए सुरक्षा उपायों को अपनाना चाहिए. इसके अलावा, यातायात और यात्रा के दौरान भी सावधानी बरतना आवश्यक है.

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