जहां एक तरफ पूरा उत्तर भारत ठंड की मार झेल रहा है, वहीं इस ठंड में कोहरा भी और घना होता जा रहा है. इससे विजिबिलिटी शून्य हो गई है और इसका सबसे ज्यादा असर रेल यात्रा पर देखने को मिला है. मकर संक्रांति बीत गई लेकिन दिसंबर के आखिरी सप्ताह से शुरू हुई शीतलहर और कोहरे का कोहराम जाने का नाम ही नहीं ले रहा है. ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति के बाद ठंड कम होने लगती है, लेकिन इस बार तो ठीक उल्टा हो रहा है. मकर संक्रांति बीतने के बावजूद भी पर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ कोहरे ने भी कोहराम मचा रखा है. इसका सबसे अधिक असर ट्रेनों पर देखा जा रहा है.
घने गोरे की वजह से एक तरफ जहां सड़क यातायात प्रभावित हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ इसका सीधा असर रेल यातायात पर पड़ रहा है. ऐसे में राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें भी 15-15 घंटे से ज्यादा की देरी से चल रही हैं.एक तरफ भीषण ठंड से लोग बेहाल हैं, वहीं ट्रेनों की आवाजाही में देरी की वजह से रेल यात्रियों को इस ठंड में ट्रेनों का इंतजार करना काफी मुश्किल साबित हो रहा है. बिजनौर हो या बरेली, मुरादाबाद हो, मेरठ हो या मिर्जापुर,या फिर प्रयागराज कानपुर और चंदौली, पूरब से पश्चिम तक हर तरफ शीतलहर और कोहरे से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं.
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कोहरे की वजह से कानपुर रूट पर मंगलवार को 67 ट्रेनें 23 घंटे तक लेट रहीं. सोमवार को आने वाली ट्रेनें मंगलवार और सुबह की गाड़ियां शाम को पहुंचीं. कानपुर सेंट्रल पर रोजाना लगभग 15-20000 टिकट कैंसिल हो रहे हैं और स्टेशन पर सन्नाटा पसर गया है. शताब्दी, राजधानी, वंदे भारत और बिहार की कई ट्रेनें 08 से 10 घंटे लेट हैं. लंबी दूरी की ट्रेनों की रफ्तार और कम हो गई है. कोई ट्रेन 10 से 12 घंटे लेट है तो कोई निरस्त हो रही है.
पांच घंटे से अधिक ट्रेनें लेट होने पर बिना ठहराव वाले स्टेशनों पर ट्रेनें रोकने और खानपान के स्टाल खुलवाने के निर्देश दिए हैं. ये वो ट्रेनें होंगी, जिनमें पेंट्रीकार नहीं हैं. खाने पीने का सामान बेचने वाले वेंडरों का इंतजाम भी किया गया है.रेलवे के अधिकारियों का मानना है कि सुगम और सुरक्षित यात्रा हो, इसको लेकर रफ्तार पर ब्रेक लगाया गया है. लोगों की यात्रा सुरक्षित रहे, इसको लेकर ट्रेनों की स्पीड भी कम कराई गई है. अभी तक सकुशल रेल यात्रा हो रही है. फिलहाल यात्रियों को असुविधा न हो, इसको लेकर तमाम सुविधाएं स्टेशन से लेकर ट्रेनों में की जा रही हैं.(सिमर चावला और उदय गुप्ता की रिपोर्ट)
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