दिल्ली- एनसीआर के लोगों के लिए राहत भरी खबर है. हवा में गति आने की वजह से दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर थोड़ कम हुआ है. हालांकि, इसके बावजूद भी दिल्ली- एनसीआर गैस चैंबर बना हुआ है. अभी भी राष्ट्रीय राजधानी की हवा पूरी तरह से जहरीली है. ऐसे में लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है. प्रदूषण का आलम यह है कि दिल्ली में जहरीले पीएम 2.5 की सांद्रता अभी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित स्वस्थ सीमा से 80 गुना अधिक है. ऐसे में बच्चे और बुजुर्गों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है. यहां तक कि प्रदूषण की वजह से अब युवा भी सुबह- सुबह टहलने के लिए पार्क नहीं जा रहे हैं.
दिल्ली में आज यानी शनिवार को लगातार पांचवे दिन जहरीली धुंध छाई रही. इससे विजिबिलिटी भी काफी कम हो गई. वहीं, वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में भी दिक्कतें हो रही हैं. कई लोगों ने आंख में जलन होने की भी शिकायतें की हैं. ऐसे में चिकित्सकों ने बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने बच्चों और बुजुर्गों को घर बाहर नहीं निकलने की सलाह दी है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों की माने तो दिल्ली- एनसीआर में वायु गुणवत्ता बहुत ही तेजी से खराब हो रही है. 27 अक्टूबर से 3 नवंबर के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में करीब 200 अंक की बढ़ोतरी की गई है. सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण शुक्रवार को दर्ज किया गया था. इस दिन शाम को 4 बजे हवा इतनी अधिक जहलीली हो गई थी कि एक्यूआई 468 पर पहुंच गया था. लेकिन रात में थोड़ी स्पीड से हवा बहने की वजह से इसमें कुछ सुधार आया और शनिवार सुबह को एक्यूआई घटकर 413 पर पहुंच गया. खास बात यह है कि 12 नवंबर 2021 को दिल्ली की हवा इससे भी ज्यादा अधिक प्रदूषत हो गई थी. तब एक्यूआई 471 पर पहुंच गया था. हालांकि, अभी दुनिया के राजधानी शहरों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता सबसे खराब हो गई है.
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बीते अगस्त महीने में शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) ने एक रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली में रहने वाले लोगों की उम्र लगभग 12 साल कम हो गई है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने अपने एक विश्लेषण में कहा है कि राजधानी में 1 नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर रहता है. इस दौरान दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है. क्योंकि इस दौरान पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी हो जाती है. वहीं, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए रणनीति तैयार करने वाले केंद्र सरकार के पैनल का कहना है कि निर्माण कार्यों और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक लगाने से आने वाले दिनों में इसका असर दिखने लगेगा. जल्द ही प्रदूषण के स्तर में गिरावट आनी शुरू हो जाएगी.
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