समय से पहले गेहूं, चना और सरसों को पका सकता है ये बढ़ता तापमान, मौसम विभाग ने जारी किया बड़ा अलर्ट

समय से पहले गेहूं, चना और सरसों को पका सकता है ये बढ़ता तापमान, मौसम विभाग ने जारी किया बड़ा अलर्ट

मौसम विभाग ने कहा है कि अभी सामान्य से अधिक तापमान चल रहा है जिससे रबी फसलों पर असर हो सकता है. इसमें गेहूं, चना, जौ और सरसों जैसी फसलें समय से पहले पक सकती हैं. फसलों का विकास कम होगा और उत्पादन गिरने की आशंका है. रोगों का प्रकोप भी हो सकता है जिससे बचाव के लिए सलाह दी गई है.

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समय से पहले गेहूं, चना और सरसों को पका सकता है ये बढ़ता तापमान, मौसम विभाग ने जारी किया बड़ा अलर्टबढ़ते तापमान से रबी फसलों पर असर देखा जा सकता है

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत में सामान्य से अधिक तापमान को लेकर किसानों को सतर्क किया है. मौसम विभाग ने बताया है कि मौजूदा तापमान की परिस्थितियों में रबी फसलों पर प्रभाव देखा जा सकता है. लिहाजा, किसानों को कुछ एहतियाती कदम उठाने चाहिए. किसानों के लिए जारी फसल एडवाइजरी में मौसम विभाग ने क्या कहा है, आइए जान लेते हैं.

  • गेहूं और जौ जैसी फसलों में समय से पहले पकने की संभावना, फसलें अधपकी और कम पैदावार देने वाली हो सकती हैं.
  • सरसों और चना भी समय से पहले पक सकते हैं.
  • प्याज, लहसुन और टमाटर जैसी सब्जियां बल्ब बनने या फूल आने के दौरान प्रभावित हो सकती हैं, जिससे टिप बर्निंग, बोल्टिंग और बेमेल परागण हो सकता है, जिससे क्वालिटी और उपज कम हो सकती है.
  • सेब और गुठलीदार फलों जैसी बागवानी फसलों में समय से पहले फूल खिल सकते हैं, जिसके चलते फलों का खराब होना और उनकी क्वालिटी खराब हो सकती है.

किसानों के लिए क्या है सलाह 

  • फसलों के प्रमुख चरणों जैसे कि अनाज भरना, फूल आना और कंद बनना, के दौरान हल्की और जीवन बचाने वाली सिंचाई जरूर करें.
  • जरूरी मिट्टी की नमी बनाए रखने और तापमान को नियंत्रित करने के लिए मल्चिंग लागू करें.
  • गर्मी के तनाव को कम करने के लिए पोटेशियम क्लोराइड और खनिज पोषक तत्वों जैसे रासायनिक स्प्रे की सलाह दी जाती है.

पशुओं का भी रखें खास ध्यान

हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में शीतलहर की स्थिति बहुत अधिक होने की संभावना है. इसलिए फसलों को ठंड से बचाने के लिए शाम के समय हल्की और लगातार सिंचाई/स्प्रिंकलर सिंचाई करें.

नए लगाए गए फलों के पौधों को सरकंडा/पुआल/पॉलीथीन शीट/बोरियों से ढकें. रात के समय मवेशियों को शेड के अंदर रखें और उन्हें सूखा बिस्तर उपलब्ध कराएं. पोल्ट्री शेड में कृत्रिम रोशनी देकर शेड में उचित तापमान बनाए रखें.

चूंकि 16 फरवरी 2025 की सुबह तक उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम के अलग-अलग इलाकों में घने कोहरे की स्थिति बनी रहने की संभावना है, इसलिए आलू, टमाटर और प्याज की फसलों में शुरुआती/देर से होने वाला झुलसा रोग, सरसों में सफेद रतुआ जैसे कीटों और रोगों के प्रकोप और प्रसार के लिए खड़ी फसलों की निगरानी करें. यदि लक्षण दिखाई दें, तो पौधों को बचाने के उपाय अपनाएं.

बुआई/रोपाई/कटाई

  1. हिमाचल प्रदेश में पकी हुई फूलगोभी, पत्तागोभी और ब्रोकली की कटाई करें. शिमला मिर्च और टमाटर की नर्सरी बुआई करें.
  2. उत्तराखंड में पकी हुई गन्ने और रेपसीड की कटाई करें, फूलगोभी की रोपाई करें.
  3. पश्चिम बंगाल में पकी हुई पत्तागोभी और फूलगोभी की कटाई, चावल की रोपाई करें.
  4. तमिलनाडु में पकी हुई चावल की कटाई, तिल, मक्का, काला चना और हरा चना की बुआई करें.
  5. तेलंगाना में तिल, सूरजमुखी और बाजरा की बुआई करें.
  6. गुजरात में ग्रीष्मकालीन मूंगफली और तिल, गन्ने की बुआई करें.
  7. पंजाब में पकी हुई गन्ने की कटाई करें. सूरजमुखी, आलू और मक्का की बुआई करें.
  8. उत्तर प्रदेश में लोबिया, जायद मक्का और तरबूज की बुआई करें. टमाटर और प्याज की रोपाई करें.
  9. असम में पकी हुई राजमा और आलू की कटाई करें. मूंग और भिंडी की बुआई और गन्ने की रोपाई करें.
  10. कर्नाटक में पके हुए कुसुम, ज्वार, अरहर और चना की कटाई करें. हरे चने, काले चने और मूंगफली की बुआई और चावल की रोपाई करें.
  11. मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में रबी ज्वार, कुसुम, लोबिया और चना की कटाई करें. ग्रीष्मकालीन मूंगफली और बाजरा की बुआई करें. महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्रों में तिल, मूंगफली, तरबूज और खरबूजे की बुआई करें.

कीट और रोगों से बचाव

  • आंध्र प्रदेश में चावल में लीफ फोल्डर के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए क्लोरपाइरीफॉस @ 2.5 मिली या एसीफेट @ 1.5 ग्राम या क्लोरेंट्रानिलिप्रोल @ 0.4 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.
  • हिमाचल प्रदेश में, गेहूं में पीले रतुआ का प्रकोप दिखाई देने पर प्रोपिकोनाज़ोल 25 ईसी या टेबुकोनाज़ोल 25 ईसी @ 0.1% यानी 30 मिली या 30 ग्राम प्रति 30 लीटर पानी प्रति कनाल का छिड़काव करें और 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव दोहराएं.
  • असम में, बोरो चावल में देर से टिलरिंग से लेकर जोड़ बढ़ाव की अवस्था में शीथ ब्लाइट के प्रबंधन के लिए 500 लीटर/हेक्टेयर में 2 मिली/लीटर पानी में मिलाकर हेक्साकोनाज़ोल का 10 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें.
  • पश्चिम बंगाल के गंगा तटीय क्षेत्रों में, आलू में पछेती झुलसा का संक्रमण होने पर एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 18.2% + डिफेनोकोनाज़ोल 11.4% @ 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.
  • मध्य प्रदेश में, चने में फली छेदक को नियंत्रित करने के लिए क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 18.5 एससी @ 3.0 मिली या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यूजी @ 5 ग्राम या इंडोक्साकार्ब 14.5 एससी @ 8 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.

 

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