बिहार में मॉनसून सीजन अपने अंतिम चरण में है, लेकिन राज्य में मॉनसून की बारिश अब तक सामान्य से 31% कम दर्ज की गई है. मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के अनुसार, 19 सितंबर 2025 तक राज्य के सभी जिलों में हल्की से भारी बारिश होने की संभावना है. इसके बावजूद, अब तक केवल 592 मिमी बारिश हुई है जबकि सामान्य औसत 858 मिमी होनी चाहिए थी.
मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 22 सितंबर तक राज्य के उत्तर बिहार, दक्षिण बिहार, और मगध क्षेत्र के कई जिलों में मूसलाधार बारिश और तेज हवा के साथ वज्रपात हो सकते हैं. इसके लिए 36 जिलों में येलो अलर्ट और 2 जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है.
हाल की बारिश ने राज्य में तापमान में 2–3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट ला दी है, जिससे धान की खेती करने वाले किसानों को राहत मिली है. हालांकि, अब भी मॉनसून की कुल बारिश सामान्य से कम होने के कारण किसान चिंतित हैं.
इस वर्ष बिहार में मॉनसून का पैटर्न असामान्य रहा है. जहां झारखंड और दक्षिण बिहार में अपेक्षाकृत अच्छी बारिश दर्ज की गई, वहीं उत्तर बिहार में बारिश सामान्य से काफी कम रही. उत्तर बिहार में ज्यादा बारिश होती है और दक्षिण बिहार में कम, लेकिन इस बार स्थिति उलट दिखाई दी. मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अभी तक राज्य में 858 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, जबकि अब तक केवल 592 मिमी बारिश हुई है. यानी सामान्य से करीब 31 प्रतिशत कम बारिश हुई है.
बिहार के किसान बारिश के इंतजार में हैं ताकि धान की फसल सही निकल सके. बिहार में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है और अधिकांश इलाका मॉनसून की बारिश पर निर्भर है. अगर बारिश नहीं होती है तो इन इलाकों में धान की फसल सूख जाती है. इस बार बारिश की मात्रा कम है, इसलिए किसान चिंता में हैं. हालांकि अभी भी समय है. अगर बारिश हो जाए तो धान की फसल निकल जाएगी.
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