हिमाचल और उत्तराखंड में तबाही मचा रहा मॉनसून, कई लोगों की जान लेने के बाद भी नहीं हो रहा शांत 

हिमाचल और उत्तराखंड में तबाही मचा रहा मॉनसून, कई लोगों की जान लेने के बाद भी नहीं हो रहा शांत 

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में रात भर हुई भारी बारिश शुष्क पश्चिमी हवाओं और नमी वाली पूर्वी हवाओं के बीच 'तीव्र अंतर्क्रिया' के कारण हुई.देहरादून स्थित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख सी.एस. तोमर ने कहा कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश शुष्क पश्चिमी हवाओं और नम पूर्वी हवाओं के संगम के कारण हुई है और यह अंतर्क्रिया अगले 24 घंटों तक जारी रहने की उम्मीद है. 

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हिमाचल और उत्तराखंड में तबाही मचा रहा मॉनसून, कई लोगों की जान लेने के बाद भी नहीं हो रहा शांत हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जारी मॉनसून का कहर

जहां देश के कई हिस्‍सों में बारिश में कमी और मॉनसून ने अलविदा कहना शुरू कर दिया है तो पहाड़ों पर इसके कहर में कोई कमी नहीं आई है. रात भर हुई भारी बारिश ने हिमालयी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को तबाह कर दिया है. ये दोनों राज्‍य पिछले करीब तीन महीने से खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं. उत्तराखंड में, बादल फटने और भारी बारिश के कारण 15 लोगों की मौत हो गई, 16 लापता हो गए और 900 से ज्‍यादा लोग अलग-अलग जगहों पर फँस गए, जबकि हिमाचल प्रदेश में बारिश के कारण आए भारी भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई. 

कई नदियां उफान पर 

उत्तराखंड के राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) ने बताया कि खराब मौसम के बीच लापता लोगों की तलाश जारी है, जबकि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और दमकल कर्मियों ने फंसे हुए ज्‍यादातर लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है. पहाड़ी ढलानों से बहते पानी ने दोनों राज्यों में कारों, क्षतिग्रस्त घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बहा दिया. उत्तराखंड में, सड़कें टूट गईं और देहरादून जिले में कई पुल बह गए. मूसलाधार बारिश से दोनों राज्यों की ज्‍यादातर नदियां और नाले उफान पर आ गए. उत्तराखंड में गंगा और यमुना नदियां चेतावनी स्तर के करीब बह रही थीं, जबकि तमसा नदी का जलस्तर खतरे के निशान के बेहद करीब पहुंच गया. 

सुबह तमसा नदी तेजी से उफान पर आ गई, जिससे उसके किनारे स्थित प्रसिद्ध टपकेश्वर मंदिर पानी में डूब गया और प्रवेश द्वार के पास स्थित विशाल हनुमान प्रतिमा कंधों तक डूब गई. मंदिर के पुजारी बिपिन जोशी ने कहा कि उन्होंने पिछले 25-30 वर्षों में नदी का पानी इतना ऊपर उठते नहीं देखा. उन्होंने कहा कि सौभाग्य से, सुबह के समय जब बाढ़ आई, उस समय मंदिर परिसर में बहुत कम श्रद्धालु थे. उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर में ठहरे पुजारी सुरक्षित हैं. 

15 की मौत, 500 बचाए गए 

सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में एसडीआरएफ कर्मियों को बाढ़ग्रस्त नदियों की तेज धाराओं में फंसे लोगों को निकालने में मदद करते हुए दिखाया गया है, जिनमें कार और ट्रक सहित कई वाहन फंस गए थे. सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि देहरादून के पौंधा क्षेत्र में देवभूमि संस्थान परिसर में जलभराव के कारण फंसे लगभग 400-500 छात्रों को एसडीआरएफ की एक टीम ने बचाया. देहरादून में बारिश से संबंधित 13 मौतें हुईं, जबकि नैनीताल और पिथौरागढ़ में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि राज्य की राजधानी के विभिन्न हिस्सों में सोलह लोग लापता बताए गए हैं. 

यूपी के 8 लोगों की जान गईं 

अधिकारियों ने बताया कि देहरादून में हुई 13 मौतों में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के आठ निवासी शामिल हैं, जो विकासनगर तहसील में टोंस नदी को एक ट्रैक्टर-ट्रॉली पर पार कर रहे थे, जो पानी के तेज बहाव में बह गई. उन्होंने बताया कि समूह के दो और लोग लापता बताए गए हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों के लिए 2 लाख रुपये के आर्थिक मुआवजे की घोषणा की है. अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड में बारिश से जुड़ी घटनाओं में तीन लोग घायल भी हुए हैं, जिनका इलाज चल रहा है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जमीनी हालात का जायज़ा लेने के लिए देहरादून ज़िले के बारिश प्रभावित इलाकों का दौरा किया. स्थानीय विधायक और वरिष्ठ अधिकारी उनके साथ थे. 

हिमाचल प्रदेश में भी स्थिति खराब 

पड़ोसी हिमाचल प्रदेश में भी स्थिति उतनी ही खराब रही. राज्य की राजधानी शिमला में सोमवार शाम से 12 घंटों में 142 मिमी बारिश हुई, इसके बाद नगरोटा सूरियां में 135.2 मिमी, भटियात में 80 मिमी, सुंदरनगर में 60.8 मिमी, ब्राह्मणी में 54.4 मिमी, गुलेर में 54.2 मिमी, मंडी में 52.6 मिमी और कांगड़ा में 50.5 मिमी बारिश हुई. राज्य में इस साल अब तक 46 बादल फटने, 97 अचानक बाढ़ और 140 भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं. तीन राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 655 सड़कें बंद हैं, 1,250 बिजली ट्रांसफार्मर और 160 हाइड्रो प्रोजेक्‍ट्स पहले ही प्रभावित हो चुके हैं और बारिश के ताजा दौर ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है. 

मूसलाधार बारिश के कारण आई अचानक बाढ़ ने मंडी जिले के धरमपुर इलाके में मुख्य बस स्टैंड को जलमग्न कर दिया, जिससे कई वाहन बह गए. जिले के बरागटा गांव में भूस्खलन के बाद एक घर के ढह जाने से दो महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई. मंगलवार को राज्य में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में चार लोगों के लापता होने की सूचना है. 

कई नदियों में आई बाढ़ 

दुकानों में पानी घुसने से दुकानदारों और निवासियों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे सामान और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है. प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. अधिकारियों ने कहा कि बारिश के कारण धरमपुर में सोन और भारंद नदियों में बाढ़ आ गई. शिमला में, शहर के मध्य में हिमलैंड के पास भूस्खलन के कारण कई वाहन दब गए और मुख्य गोलाकार सड़क बंद हो गई. शिमला, जुब्बड़हट्टी, कांगड़ा, भुंतर, जोत, मुरारी देवी और सुंदरनगर में गरज के साथ बारिश हुई, जबकि बिलासपुर, बजौरा और कुफरी में 37 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने तीन लोगों की मौत पर शोक व्यक्त किया और कहा कि मृतकों के परिजनों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी. 

क्‍यों हो रही है दोनों जगह इतनी बारिश 

20 जून को राज्य में मानसून के आगमन के बाद से अब तक बारिश से संबंधित घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में कुल 417 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 45 लोग अभी भी लापता हैं. बारिश से संबंधित घटनाओं में कुल 236 लोगों की मौत हुई, जबकि सड़क दुर्घटनाओं में 181 लोग मारे गए. मौसम विज्ञानियों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में रात भर हुई भारी बारिश शुष्क पश्चिमी हवाओं और नमी वाली पूर्वी हवाओं के बीच 'तीव्र अंतर्क्रिया' के कारण हुई. देहरादून स्थित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख सी.एस. तोमर ने कहा कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश शुष्क पश्चिमी हवाओं और नम पूर्वी हवाओं के संगम के कारण हुई है और यह अंतर्क्रिया अगले 24 घंटों तक जारी रहने की उम्मीद है. 

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