रिसर्च सेंटरों से बाहर निकलकर किसान के खेत तक पहुंची जीरो टिलेज फार्मिंग, जान‍िए क्या है फायदा 

रिसर्च सेंटरों से बाहर निकलकर किसान के खेत तक पहुंची जीरो टिलेज फार्मिंग, जान‍िए क्या है फायदा 

Zero Tillage Farming: पुणे के युवा क‍िसान क‍िरण यादव ने 'क‍िसान तक' से कहा क‍ि जीरो टिलेज तकनीक की मदद से पारंपर‍िक खेती की तुलना अधिक लाभ कमाया जा सकता है. इसमें लागत काफी घट जाती है. ऐसी खेती नेचर के ल‍िए भी अच्छी है.  

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रिसर्च सेंटरों से बाहर निकलकर किसान के खेत तक पहुंची जीरो टिलेज फार्मिंग, जान‍िए क्या है फायदा जीरो टिलेज खेती में इस जुगाड़ से सीड की बुवाई करते हैं किरण यादव (Photo-Sarita Sharma/Kisan Tak)

क्या बिना खेत जुताई के भी खेती हो सकती है? ज्यादातर लोगों का जवाब होगा नहीं. लेकिन ऐसा संभव है. कृषि के कई शोध संस्थानों में इस पर काम हो रहा है. यही नहीं रिसर्च सेंटरों से बाहर निकल कर अब खेती की यह नई  तकनीक किसानों के खेत तक पहुंच गई है. इसे जीरो टिलेज फार्मिंग कहते हैं. जिसे महाराष्ट्र के पुणे जिले के भोर  गांव निवासी किसान किरण यादव ने अपना लिया है. वो पिछले  5 साल से जीरो टिलज खेती कर रहे हैं. वो भी कई फसलों की. यह किसान ब‍िना जुताई वाले खेत में सोयाबीन, धान, मूंगफली, गेंहू, प्याज, टमाटर और ककड़ी जैसी फसलें ले रहा है. जुताई का पैसा बचने की वजह से खेती की लागत काफी कम हो गई है. 


जब मुझे ब‍िना जुताई के खेती करने वाले क‍िसान की जानकारी म‍िली तो हमने वहां जाने का फैसला क‍िया. करीब 50 क‍िलोमीटर की दूरी तय करने के बाद पहाड़‍ियों से घ‍िरे भोरगांव पहुंची जहां ज्यादातर क‍िसान धान की खेती करते हैं. यादव ने 'क‍िसान तक' से कहा क‍ि जीरो टिलेज तकनीक की मदद से पारंपर‍िक खेती की तुलना अधिक लाभ कमाया जा सकता है. युवा क‍िसान यादव ने ऐसा करके द‍िखा द‍िया है. उन्होंने बताया क‍ि पहले पारंपर‍िक तौर-तरीकों से धान की खेती करने पर 35 हज़ार रुपये तक का खर्चा आता था जो अब घटकर सिर्फ 15 हज़ार रुपये रह गया है. दावा है क‍ि जीरो ट‍िलेट तकनीक से उन्होंने एक एकड़ में 30 क्विंटल तक धान का उत्पादन क‍िया है.  

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लागत और समय बचता है  

आमतौर पर लोगों को विश्वास नहीं होता कि खेत की जुताई किए बिना भी खेती हो सकती है. लेकिन ऐसा संभव है. आजकल जीरो टिलेज मशीनें भी आ गई हैं जो किसानों की आय बढ़ाने में काफी मददगार हैं. इसके जर‍िए किसान खेती की लागत को काफी कम कर सकते हैं और यह तकनीक मिट्टी की सेहत और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है. यादव का कहना है क‍ि इस तकनीकी से लागत और समय बचता है और उत्पादन भी अच्छा होता है. जीरो टिलेज का मतलब जुताई रहित कृषि या   बिना जुताई के खेती. इसमें खेत को बिना जोते ही कई साल तक फसलें उगाई जातीं हैं. इससे खासतौर पर पैसे और समय की बचत होती है. 

खेत की जुताई के बिना खेती करना कितना फायदेमंद?
खेत की जुताई के बिना खेती करना कितना फायदेमंद?

 


म‍िट्टी में बनी रहती है नमी 

सामान्य खेती में क‍िसी बीज की बुआई के लिए खेत को कम से कम पांच से छह बार जोतना पड़ता है. जबक‍ि जीरो ट‍िलेज में ऐसी कोई जरूरत नहीं होती. क‍िसान चाहें तो ब‍िना मशीन के खुद के जुगाड़ से बुवाई कर सकते हैं. जुताई न होने की वजह से म‍िट्टी में नमी रहती है. ऐसे में पानी की आवश्यकता भी कम पड़ती है. इसका अर्थ यह हुआ क‍ि जुताई और स‍िंचाई दोनों का खर्च बच रहा है. खेत की जुताई न होने की वजह से बार‍िश के दौरान उसका कटाव भी बहुत कम होता है.

 


 

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