अटल बिहारी वाजपेयी ने शुरू की थी केसीसी योजनाभारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर को 'सुशासन दिवस' के रूप में मनाई जाती है. अटल जी केवल एक राजनेता या कवि नहीं थे, बल्कि वे एक दूरदर्शी 'युगदृष्टा' थे जिन्होंने भारतीय कृषि और किसानों के भाग्य को बदलने की नींव रखी. अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे विराट व्यक्तित्व थे, जिन्हें पक्ष और विपक्ष दोनों का बराबर सम्मान मिला. 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे अटल जी जिन्हें प्यार से उनकी माता 'अटल्ला' कहती थीं, ने हमेशा ग्रामीण भारत को अपनी प्राथमिकताओं में रखा. उनके बेबाक अंदाज और किसानों के प्रति गहरी संवेदना ने उन्हें 'जनता का प्रधानमंत्री' बना दिया.
वे केवल भाषणों में किसानों की बात नहीं करते थे, बल्कि उनके लिए नीतियां बनाते समय दिल से विचार करते थे. आज उनकी जयंती पर, देश का किसान उन्हें एक सच्चे हितैषी और मार्गदर्शक के रूप में याद करता है, जिन्होंने भारतीय कृषि को आधुनिकता और आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर किया.
अटल बिहारी वाजपेयी जी का किसानों के लिए सबसे क्रांतिकारी कदम 'किसान क्रेडिट कार्ड' (KCC) की शुरुआत थी. 1998 में शुरू की गई इस योजना ने किसानों को साहूकारों और बिचौलियों के चंगुल से मुक्त कराया. इससे पहले किसान ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेने को मजबूर थे, लेकिन अटल जी ने फसल ऋण के ब्याज को 18% से घटाकर सीधे 9% पर लाकर किसानों का बोझ आधा कर दिया. आज किसान इसी कार्ड के माध्यम से खाद, बीज और खेती के अन्य उपकरणों की खरीदारी आसानी से कर पा रहे हैं. यह योजना न केवल एक आर्थिक सहायता थी, बल्कि इसने किसानों को आत्मसम्मान के साथ खेती करने का साहस प्रदान किया.
अटल जी भली-भांति जानते थे कि जब तक खेत खलिहान मुख्य सड़कों से नहीं जुड़ेंगे, तब तक किसान की उपज का सही मूल्य नहीं मिल सकता. इसी विजन के साथ उन्होंने 'प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना' की शुरुआत की. इस योजना ने गांवों की तस्वीर बदल दी और पक्की सड़कों के माध्यम से दूर-दराज के इलाकों को शहरों की मंडियों से जोड़ा. इससे न केवल परिवहन लागत कम हुई, बल्कि किसानों की उपज समय पर बाजार पहुंचने लगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई. वे मानते थे कि गांव का विकास ही देश के विकास का असली पैमाना है.
किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम से बचाने के लिए पहली फसल बीमा योजना अटल जी के कार्यकाल में ही प्रभावी रूप से लागू हुई थी. उन्होंने सुनिश्चित किया कि ओलावृष्टि, सूखा या बाढ़ जैसी स्थितियों में किसान पूरी तरह बर्बाद न हो. इसके साथ ही, आज जिस 'जैविक खेती' की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है, उसकी नींव भी अटल सरकार ने ही रखी थी.
1999 से 2004 के बीच रसायन एवं खाद्य मंत्री के रूप में उन्होंने ऐसी नीतियां बनाईं जिससे कीटनाशक मुक्त खेती को बढ़ावा मिले. वे चाहते थे कि भारत का किसान स्वस्थ और शुद्ध उपज पैदा करे, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खड़ा उतरे.
अटल बिहारी वाजपेयी एक आधुनिक सोच वाले राजनेता थे. उनका मानना था कि किसान को केवल हल चलाना ही नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक और मौसम की सटीक जानकारी भी होनी चाहिए. इसी उद्देश्य से उन्होंने 'किसान चैनल' की शुरुआत की ताकि टेलीविजन के माध्यम से किसानों को बुवाई से लेकर कटाई तक की वैज्ञानिक जानकारी मिल सके. हालांकि बाद में इसे कुछ समय के लिए बाधित किया गया, लेकिन उनका यह प्रयास दर्शाता है कि वे किसानों को सूचना संपन्न बनाना चाहते थे. उन्होंने मंडी कानूनों में सुधार और 'कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग' जैसे विषयों पर भी काम किया ताकि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके.
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