
परंपरागत खेती को छोड़कर किसान पहले के मुकाबले अब काफी जागरूक हो गए हैं और वह खेती में नए-नए प्रयोग करने के लिए भी तैयार रहते हैं. अब किसान पारंपरिक खेती के अलावा नगदी फसलों पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं. इससे उनकी कमाई के रास्ते भी खुल गए हैं. इसी बीच आज हम आपको ऐसे दो सगे भाईयों से मिलाने जा रहे हैं जो पेशे से किसान हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से खेती में क्रांति ला दी है. उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद के गोंदा गांव के रहने वाले किसान राजकुमार और परमेश्वर ने देसी तकनीक का प्रयोग करके खेती का अनोखा मॉडल तैयार किया है.सबसे खास बात है कि 3 एकड़ की खेती में एक ही समय पर 13 फसलों की पैदावार करके बंपर कमाई कर रहे हैं. खेती के इस मॉडल से उन्हें खर्चा निकालने के बाद प्रति एकड़ 2 से 2.5 लाख रुपये तक का मुनाफा हो जाता है. यानी 3 एकड़ में सालाना 7 से 8 लाख की कमाई कर रहे हैं.
इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में गोंदा गांव निवासी राजकुमार ने बताया कि वर्तमान समय में हम हरा प्याज, लहसुन, पालक, बैगन, धनिया, सोया मेथी, मिली, लौकी, परवल, कुंदरु, मटर, चना, मिर्च, समेत एक दर्जन से अधिक फसलों की खेती कर रहे है. उन्होंने बताया कि खेत में मचान (जाल/ बल्ली) के जरिए एक साथ कई मौसमी फसलों की खेती करते है. जैसे कुंदरु के साथ लौकी की फसल, इसी तरह वे एक ही खेत में 5 फसलें तक लेते हैं और खेती में कई तरह के प्रयोग करते रहते हैं.
सफल राजकुमार बताते हैं कि वो कभी रयायनिक खाद का प्रयोग नहीं करते है, पूरी खेती में गोबर और केंचुआ खाद का इस्तेमाल करते है, इससे कम लागत में फसलों की अच्छी पैदावार होती है. दूसरा फसलों में कीड़े और रोग लगने का खतरा कम होता है. यही वजह हैं कि खेत में खाद बनाने का पूरा इंतजाम कर रखा है. उन्होंने बताया कि पालक, बैगन, धनिया, सोया मेथी जैसी कुछ फसलों को नीचे लगा दिया, बाकी लौकी और कुंदरु को मचान के जरिए बांस के सहारे लगाकर उसकी पैदावार कर लेते है, इससे कम जमीन पर कई अलग-अलग फसलों को एक साथ और एक समय में उगाया जा सकता है.
वहीं मौसम के हिसाब से 12 महीने अलग-अलग सब्जियों की खेती करके कमाई कर रहे है. राजकुमार ने बताया कि कुछ 3 एकड़ की खेती में 7 से 8 लाख रुपये की आय हो जाती है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ दो लेबर को लेकर हम दोनों भाई 35 साल से खेती कर रहे है. वहीं हम रोज अपनी सब्जियों के बेचने के लिए मंडी जाते है. वहां हमारी सब्जियों को व्यापारी हाथों हाथ खरीद लेते हैं. इससे उन्हें कभी भी नुकसान नहीं बल्कि लाखों रुपए का फायदा ही हुआ है.
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