मल्टी स्पेसीज फार्मिंग मॉडल से आदिवासी किसान की आय बढ़ी, पहले 1 लाख कमाते थे अब 6 लाख की हो रही कमाई 

मल्टी स्पेसीज फार्मिंग मॉडल से आदिवासी किसान की आय बढ़ी, पहले 1 लाख कमाते थे अब 6 लाख की हो रही कमाई 

आईसीएआर के कृषि विज्ञान केंद्र नामसाई के अनुसार मल्टी स्पेसीज फार्मिंग मॉडल यानी बहु-प्रजाति पशुधन और मुर्गी पालन प्रणाली उत्पादकता को बढ़ा रही है और आदिवासी-ग्रामीण युवाओं-किसानों की आजीविका में सुधार ला रही है.

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Success Story: मल्टी स्पेसीज फार्मिंग से आदिवासी किसान की आय बढ़ी, आधे एकड़ के फार्म से 6 लाख की कमाई मल्टी स्पेसीज फार्मिंग में कम भूमि में एक साथ कई पशुओं का पालन किया जाता है. (तस्वीरें- ICAR-KVK Namsai)

मल्टी स्पेसीज फार्मिंग मॉडल का ट्रेंड धीरे-धीरे बढ़ रहा है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक इस विधि के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं. मल्टी स्पेसीज फार्मिंग के जरिए किसान कम भूमि में एक साथ कई पशुओं का पालन करते हैं. अरुणाचल प्रदेश के नामसाई में रहने वाले किसान ने इसी विधि के जरिए रोजगार हासिल किया है. पहले सालाना 1 लाख रुपये से भी कम कमाई होती थी जो अब बढ़कर 6 लाख रुपये से अधिक हो गई है. आदिवासी किसान को प्रशासन सम्मानित भी कर चुका है.  

अरुणाचल प्रदेश के नामसाई में रहने वाले आदिवासी किसान मोनभाई थमौंग ने रोजगार देने वाली और कमाई बढ़ाने वाली विधि मल्टी स्पेसीज फार्मिंग मॉडल को अपना लिया है. आईसीएआर के कृषि विज्ञान केंद्र नामसाई के अनुसार मल्टी स्पेसीज फार्मिंग मॉडल यानी बहु-प्रजाति पशुधन और मुर्गी पालन प्रणाली उत्पादकता को बढ़ा रही है और आदिवासी युवाओं की आजीविका में सुधार ला रही है. अरुणाचल प्रदेश के अलावा अन्य आदिवासी इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में इस विधि को बढ़ावा दिया जा रहा है. 

केवल आधे एकड़ में बना है फार्म  

आदिवासी किसान मोनभाई थमौंग ICAR कृषि विज्ञान केंद्र नामसाई के वैज्ञानिकों के संपर्क में आए तो उन्हें से मल्टी स्पेसीज फार्मिंग की जानकारी हुई. किसान ने इस विधि को करने के लिए केंद्र से ट्रेनिंग ली और अब वह पशुधन आधारित खेती कर रहे हैं. ICAR कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से मोनभाई थमौंग ने अरुणाचल प्रदेश के नामसाई जिले में आधे एकड़ (0.5 एकड़) जमीन पर फार्म बनाया है, जिसमें वह मुर्गी पालन, सूअर पालन, डेयरी और बकरी पालन कर रहे हैं. 

किसान के फार्म में 530 से ज्यादा पशुधन 

किसान मोनभाई थमौंग के पास 525 पोल्ट्री बर्ड हैं, जिसमें 217 उन्नत किस्म की मुर्गियां, 200 ब्रॉयलर और 108 चूजे शामिल हैं. इसके अलावा उनके पास हैम्पशायर और यॉर्कशायर क्रॉस नस्ल के के 17 सूअर है, जबकि सेरोही नस्ल की 5 बकरियां और गायों समेत 6 दुधारू नस्ल के मवेशी हैं. यह सभी पशुधन मोनभाई थमौंग के पास केवल आधे एकड़ जमीन में बने फॉर्म में क्वार्टर बनाकर रखे गए हैं. किसान वैज्ञानिक तरीकों से पशुधन का ख्याल रखते हैं, उसी हिसाब से उन्हें चारा, पानी और दवाएं और टीकाकरण कराते हैं. 

6 लाख से अधिक की कमाई 

ICAR कृषि विज्ञान केंद्र नामसाई के अनुसार किसान मोनभाई थमौंग मल्टी स्पेसीज फार्मिंग मॉडल से सालाना 6,12,000 रुपये की नेट इनकम होती है. इसमें से प्रॉफिट और कॉस्ट रेशियो 2.8 का है. किसान मोनभाई थमौंग के फॉर्म में पाले गए पशुधन को बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. नामसाई इलाके में उनके पशुधन की खूब मांग होने के चलते उन्हें अच्छा प्रॉफिट हासिल होता है. वहीं, पहले आधे एकड़ जमीन पर खेती 1 लाख रुपये की कमाई भी मुश्किल थी. 

अकेले पोल्ट्री से कमाए 4 लाख रुपये 

किसान मोनभाई ने 36,900 अंडे और 1,350 किलोग्राम पोल्ट्री मांस बेचकर केवल अपने पोल्ट्री कारोबार से ही 3,91,000 रुपये की नेट इनकम हासिल की है. किसान ने स्थानीय बाजार में सीधे 40 सूअर के बच्चे और 2 मोटे सूअरों को बेचकर 3,45000 रुपये की नेट इनकम हासिल की है. उन्होंने तीन स्थानीय गायों से 1620 लीटर दूध का उत्पादन करके 61,000 रुपये और एक बकरी बेचकर 15000 रुपये की इनकम हासिल की है. 

किसान को कई सम्मान भी मिले

ICAR कृषि विज्ञान केंद्र नामसाई के अनुसार किसान मोनभाई थमौंग के मल्टी स्पेसीज फार्मिंग मॉडल अपनाकर सफलता के साथ स्वरोजगार करने और अच्छी आय हासिल करने पर जिला प्रशासन ने सम्मानित किया है. उन्हें अरुणाचल प्रदेश राज्य दिवस 2023 के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनी स्टॉल से सम्मानित भी किया जा चुका है. ICAR एग्रीकल्चर सेक्टर में आदिवासी क्षेत्र के लोगों और कम भूमि वाले किसानों को ज्यादा कमाई के साथ स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से मल्टी स्पेसीज फार्मिंग मॉडल का विस्तार कर रहा है. 

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