Success Story: इस स्पेशल चाय की खेती से लखपति बन रहे हैं सीतापुर के किसान, महाराष्ट्र तक कर रहे सप्लाई

Success Story: इस स्पेशल चाय की खेती से लखपति बन रहे हैं सीतापुर के किसान, महाराष्ट्र तक कर रहे सप्लाई

अशोक गुप्ता ने बताया कि रासायनिक खेती से जमीन बंजर होती चली जा रही है. दिन प्रतिदिन उत्पादन घट रहा था और लागत बढ़ती चली जा रही थी.

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Success Story: इस स्पेशल चाय की खेती से लखपति बन रहे हैं सीतापुर के किसान, महाराष्ट्र तक कर रहे सप्लाईकैमोमाइल ग्रीन टी की खेती करने वाले सीतापुर के सफल किसान (Photo-Kisan Tak)

Farmer's Success Story: औषधीय पौधों की खेती का चलन भारत में बढ़ रहा है. किसान नए-नए और अलग तरह के पौधों की खेती करने लगे हैं. इसी तरह का एक औषधीय पौधा है कैमोमाइल. उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के गांव कमुवा के रहने वाले अशोक गुप्ता औषधीय फसलों की खेती से सालाना लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. अशोक गुप्ता ने किसान तक से बातचीत में बताया कि कैमोमाइल ग्रीन टी की खेती करने से पहले इसपर रिसर्च किया. क्योंकि हमारे गांव में 20 किसान इसकी खेती पहले से कर रहे थे, जहां उन्हें हर साल अच्छी आय हो रही थी. 

उन्होंने बताया कि सात साल पहले हमने कैमोमाइल की खेती 6 एकड़ में शुरू की थी. जिससे हर साल 3-4 लाख रुपये की इनकम हो रही है. अशोक कहते हैं कि कैमोमाइल एक हर्बल टी है जो काफी लोकप्रिय भी है. कैमोमाइल मूल रूप से एक जड़ी बूटी है जो एक फूल है. इस टी को कैमोमाइल नामक फूलों की मदद से बनाया जाता है. वहीं कैमोमाइल टी में शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसमें कैफीन नहीं होता.

अशोक गुप्ता ने बताया कि रासायनिक खेती से जमीन बंजर होती चली जा रही है. दिन प्रतिदिन उत्पादन घट रहा था और लागत बढ़ती चली जा रही थी. बढ़ती लागत को कम करने एवं भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए वे खुद अपने घर पर देशी गाय के गोबर एवं गौमूत्र से  जीवामृत, घनजीवामृत और आपने आसपास की वनस्पतियों से कीट रोधक दवाइयां तैयार करके खेती में प्रयोग करते हैं. इससे उनकी 75 फीसद लागत कम हो जाती है. 

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सीतापुर बिसवां ब्लॉक के गांव कमुवा अशोक गुप्ता आगे बताते हैं कि हमारे गांव में किसान पंकज दीक्षित दो एकड़ में कैमोमाइल ग्रीन टी की खेती कर रहे हैं, वहीं विनोद कुमार 1 एकड़ में खेती करके सालाना 2 से 3 लाख रुपये आसानी से कमा रहे है‌. वहीं, दूसरी ओर एक एकड़ में सिर्फ 20 से 25 हजार रुपये की लागत आती है. अशोक ने बताया कि अक्टूबर में नसरी लगाई जाती है, वहीं नवंबर माह में ट्रांस प्लांट किया जाता है. पहले साल से इसकी पैदावार अच्छी हो रही है, जिसका नतीजा के है कि इस कैमोमाइल ग्रीन टी की सप्लाई आगरा, कानपुर, दिल्ली और महाराष्ट्र के व्यापारी सीतापुर आकर इसको खरीद लेते है.

औषधीय खेती में दिखा लाभ 

उन्होंने बताया कि कैमोमाइल टी के सेवन से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है. वहीं, दिल की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है. इतना ही नहीं इसके सेवन से डायबिटीज को भी कंट्रोल किया जा सकता है. प्राकृतिक रूप से उत्पादित औषधीय फसल उत्पादन से उत्साहित होकर वर्तमान में अशोक गुप्ता ने 4 एकड़ जमीन किराए पर लेकर ड्रैगन फ्रूट, अकरकरा, कैमोमिल, तुलसी अश्वगंधा, हिबिस्कस की खेती करने लगे हैं जिनसे उन्हें वार्षिक रुप में 7-8 लाख रुपए की आय हो रही है. अशोक के मुताबिक है कि पहले जब हम रासायनिक उर्वरकों कीटनाशकों से फसल उत्पादित करते थे तो हमें स्वयं बाजार ढूंढना पड़ता है लेकिन प्राकृतिक तरीके से खेती करने की वजह से लोग उनकी फसल खरीदने वाले खेतों तक पहुंच जाते हैं. 

सर्दी-खांस से राहत दिलाने में कारगर

अशोक ने बताया कि अगर आप सर्दी-खांसी और गले में खराश की समस्या से परेशान है, तो कैमोमाइल आपके लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है. यह आपको बंद नाक से राहत दिला सकता है. आप कैमोमाइल भाप भी ले सकते हैं.

 

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