
Barabanki Farmer Story: देश के किसान अब कृषि के क्षेत्र में नई-नई आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करने लगे हैं. इस नए तरीके से किसानों को काफी मुनाफा भी हो रहा है. साथ ही उनके आय में बढ़ोतरी भी हो रही है. ऐसे ही एक किसान हैं बाराबंकी के जिले के आदिल हसन जो खेती-किसानी में हर रोज एक नया मुकाम हासिल कर रहे हैं. इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में प्रगतिशील किसान आदिल हसन ने बताया कि याकूती आम के बाद अब वो ताइवानी वैराइटी पर आधारित तरबूज सरस्वती और बॉबी खरबूजा की खेती करने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके एक किलो बीज की कीमत 70 हजार रुपये है. ग्राम सहेलिया में करीब 100 बीघे में गेंहू, धान,आम,लीची और बेल के आवला कई फसलों की खेती करने वाले आदिल ने बताया कि इजारइल की मल्चिंग तकनीक को अपना कर किसान काफी मुनाफा कमा सकते हैं.
आदिल बताते हैं कि बाराबंकी में खास तौर पर उत्पादित होने वाले बॉबी खरबूजा जिसे ताइवानी भी कहा जाता है, की खासियत है कि इसे पौधे से अलग किए जाने के बाद हफ्ते भर तक रखा जा सकता है. यह मीठा भी ज्यादा होता है. इसकी कीमत भी अन्य की अपेक्षा अधिक है. इसी तरह मुस्कान कम मीठा लेकिन बड़ा होता है जबकि मृदुला में ज्यादा मिठास होती है. इसी कड़ी में तरबूज माधुरी और सरस्वती देशी की अपेक्षा मीठे होते हैं, जिससे इसका दाम भी अधिक मिलता है. दरअसल, तरबूज गर्मियों में खाया जाने पसंदीदा फल है.
पानी से भरपूर तरबूज लोगों को तरोताजा तो रखता ही है, किसानों के लिए यह फायदे की खेती है. तरबूज की बुआई और रोपाई जनवरी से मार्च तक होती है. उन्होंने बताया कि 20 फरवरी से दो-दो एकड़ में तरबूज सरस्वती और बॉबी खरबूजा की बुआई शुरू हो जाएगी. वहीं 4 महीने यह फसल पूरी तरह से तैयार हो जाएगी.
इस फसल के लिए बीज शोधन से लेकर स्प्रे तक में नैनों डीएपी तथा नैनों यूरिया प्रयोग करते है. सफल किसान आदिल हसन का सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपये के करीब है. तरबूज सरस्वती और बॉबी खरबूजे की डिमांड बहुत ज्यादा है. उन्होंने बताया कि 40 से 50 रुपये किलो के रेट से तरबूज और खरबूजे की बिक्री हो जाती है. वहीं सारा माल खेत में व्यापारी खरीद लेते है. जिससे उनको अच्छा मुनाफा हो जाता है.
प्रगतिशील किसान आदिल आज आधुनिक और वैज्ञानिक दृष्टि से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और अच्छा लाभ कमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से लागत भी कम आती है और मुनाफा भी बेहतर होता है. साथ ही प्राकृतिक खेती से खेत और मिट्टी भी बेहतर होती है, जिससे उन्हें अलग-अलग फसलों की खेती करने में आसानी होती है.
बता दें कि तरबूज व खरबूजे में इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो डिहाइड्रेशन में काफी फायदेमंद होते हैं. लू व उल्टी-दस्त के वक्त यह सेहत के लिए काफी लाभदायक होता है. इसमें सोडियम, पोटैशियम के तत्व भी पाए जाते हैं.
बाराबंकी जिले में आम की बागवानी करने वाले किसान आदिल हसन ने बताया कि बाराबंकी जिला में भी आमों की अच्छी पैदावार होती है .यहां कई प्रजाती के आम जैसे गुलाब खास, लंगड़ा, चौसा, दशहरी और याकूति सहित सैकड़ों किस्म के आमों की पैदावार होती है. सबसे ज्यादा भयारा मसौली बड़ागांव में आमों की खेती की जाती है. यहां आमों की एक से बढ़कर एक वैराइटी मिलती है.
आदिल हसन ने बताया कि आज 150 प्रजाती के आमों की पैदावार होती है. इस तरह याकूती आम सबसे खास रहा, क्योंकि यह सिर्फ बाराबंकी में ही पैदा होता है और यह खाने में एकदम मक्खन की तरह होता है. इसलिए लोग इसे सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. इसकी डिमांड ज्यादा होने के कारण सबसे महंगा बिकता है. बाराबंकी में इस समय यह आम 200 रुपए किलो में बिक जाता है. आपको बता दें कि आदिल हसन की गिनती बाराबंकी के बड़े और जागरूक किसानों में होती है, जो जिले के दूसरे किसानों के लिए एक नजीर बन गए हैं.
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