Success Story: पहले बीटेक किया फिर बेंगलुरु में नौकरी.. मिट्टी के कुल्हड़ ने बदली किस्मत, पढ़िए 31 साल के इस युवा की कहानी

Success Story: पहले बीटेक किया फिर बेंगलुरु में नौकरी.. मिट्टी के कुल्हड़ ने बदली किस्मत, पढ़िए 31 साल के इस युवा की कहानी

आज यूपी के कई जिलों से मेरे द्वारा निर्मित किए गए कुल्हड़ की डिमांड आ रही है. आने वाले दिनों में हम इस कारोबार का विस्तार करने की सोच रहे है, जिससे गांव के बहुत से युवाओं को रोजगार मिल सकें.

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Success Story: पहले बीटेक किया फिर बेंगलुरु में नौकरी.. मिट्टी के कुल्हड़ ने बदली किस्मत, पढ़िए 31 साल के इस युवा की कहानीयूपी के कई जिलों से मेरे द्वारा निर्मित किए गए कुल्हड़ की डिमांड आ रही है.

Siddharthnagar News: कुछ लोगों के सपने उनकी उम्र से बड़े होते हैं. अपने सपने को पूरा कर लक्ष्य को पाने के लिए ऐसे लोग कड़ी मेहनत करते हैं. ऐसा ही लक्ष्य को साकार कर रहे सचिन यादव जो यूपी के सिद्धार्थनगर जिले के रानीगंज मोहल्ले के निवासी हैं. सचिन ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में नोएडा से बीटेक किया, कुछ वर्षों तक उन्होंने  बेंगलुरुमें नौकरी भी की. लेकिन उनकी दिलचस्पी शुरुआत से ही मिट्टी के बर्तनों में थी जिसके लिए वह पहले खुर्जा गए. वहां मिट्टी के बर्तन कैसे बनते हैं इसकी ट्रेनिंग ली, खुद बनाया और सीखा और अब इस तकनीक को सिद्धार्थनगर जिले में लेकर आए है. जहां वह सिद्धार्थनगर समेत बस्ती, संतकबीर नगर तथा महाराजगंज जिलों में कुल्हड़ की सप्लाई कर रहे हैं. इस कारोबार से उनका मुनाफा तो हो रहा है, वहीं कई बेरोजगार युवाओं को नौकरी देकर उनके परिवार का सहारा बन रहे है.

सचिन यादव ने किसान तक से बातचीत में बताया कि देश के कई इलाकों में पिछले कुछ दिनों में कुल्हड़ वाली चाय का क्रेज बढ़ रहा है. कुल्हड़ में चाय पीने का आनंद ही अलग है. उन्होंने बताया कि कुल्हड़ देखने में सुंदर लगे और इसे आकर्षक बनाने में कुछ विशेष तकनीक का प्रयोग करने से चाय पीने वालों को संख्या भी बढ़ जाएगी. कुछ इसी तरह की तकनीक का इस्तेमाल का आइडिया मुझे आया, हमने अच्छे पैकेज की नौकरी छोड़कर कुल्हड़ बनाने को ही अपना रोजगार बना लिया और गांव के लगभग 15 लोगों को रोजगार देना शुरू कर दिया.

31 साल के सचिन ने आगे बताया कि इसके लिए उन्होंने अपने प्लांट में विशेष प्रकार की मशीनें और सेंसर लगाए हुए है. जिससे कुल्हड़ जो पहले अधिक तापमान की वजह से फट जाते थे अब नहीं फटते हैं और रंग भी अच्छा आता है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में कोरोना के समय में हमने अपने बिजनेस की शुरुआत की थी. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर की वजह से इनका व्यापार अच्छा नहीं चल पाया, लेकिन जैसे ही कोरोना काल समाप्त हुआ उनके बिजनेस ने तेजी पकड़ना शुरू कर दिया. आज यूपी के कई जिलों से मेरे द्वारा निर्मित किए गए कुल्हड़ की डिमांड आ रही है. आने वाले दिनों में हम इस कारोबार का विस्तार करने की सोच रहे है, जिससे गांव के बहुत से युवाओं को रोजगार मिल सकें.

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सचिन ने बताया कि एक दिन में 6-7 हजार कुल्हड़ बनाया जा रहा है, आने वाले दिनों में 50 हजार कुल्हड़ बनाने का लक्ष्य है. वहीं 100 लोगों को रोजगार मिल सकें. इस समय अपने कुल्हड़ बिजनेस से सचिन सालाना 4-7 लाख रुपए का टर्नओवर कर रहे हैं. सचिन ने कहा कि मिट्टी का कप पेपर, ग्लास या प्लास्टिक, किसी भी कप से ज्यादा बेहतर है और अब देश भर के लोग इसका महत्व समझने लगे हैं. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में फ्लेवर कुल्हड़ भी बनाने की तैयारी है. इस संदर्भ में मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार ने बताया कि यह लोकल फार वोकल का ही असर है. जिसमें पढ़े-लिखे युवा भी अपना हाथ आजमा रहे हैं और एक अच्छी आधारशिला खड़ी कर रहे हैं, जो आने वाले समय में जिले के लिए बहुत ही अच्छी बात होगी.

 

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