Rate of Kashmiri Saffron केसर को मेवा कहें या मसाला, लेकिन कीमत के मामले में ये दोनों से अव्वल है. बात कश्मीरी केसर की हो तो दाम और भी बढ़ जाते हैं. और बड़ी बात ये है कि देश ही नहीं दुनियाभर में कश्मीरी केसर सबसे महंगी बिकती है. कश्मीरी केसर के सामने सिर्फ ईरान ही नहीं अफगानिस्तान, चीन, अमेरिका और पुर्तगाल की केसर के दाम बहुत पीछे हैं. केसर के जानकारों की मानें तो रेट और क्वालिटी के मामले में कश्मीरी केसर सबसे अव्वल मानी जाती है.
इसकी एक बड़ी वजह कश्मीरी केसर में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल न होना भी है. यही वजह है कि कश्मीरी केसर किसी भी ग्रेड की हो, लेकिन उसके दाम लाखों में ही होते हैं. जबकि ईरानी केसर उससे आधे दाम पर बाजार में बिक रही है. लेकिन कई बड़ी जगहों पर कश्मीरी केसर की ही डिमांड रहती है.
इरशाद अहमद डार पंपोर, कश्मीरी के रहने वाले किसान हैं. 100 फीसद ऑर्गनिक खेती करते हैं. केसर के साथ ही सब्जियां भी उगाते हैं. उनके गांव पत्थलगढ़ी को ऑर्गनिक खेती का दर्जा मिला हुआ है. इतना ही नहीं कृषि विभाग ने पूसा, दिल्ली में किसान मेला के दौरान इरशाद को सम्मानित किया था. इरशाद ने बताया कि हम लोग कश्मीर में केसर की पूरी तरह से ऑर्गनिक खेती करते हैं. अगर केसर के फूल या पौधों में कभी कोई बीमारी लगती भी है तो उसका इलाज भी ऑर्गनिक तरीके से किया जाता है. कभी भी पौधे पर केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं. फिर चाहें बेशक पूरी फसल ही खराब क्यों न हो जाए. पेस्टीसाइड का इस्तेमाल होने पर हमे मिट्टी खराब होने का भी डर रहता है.
इसके अलावा कश्मीर की केसर को कुदरती ही ऑर्गनिक होने का वरदान मिला हुआ है. हमारे यहां एक लम्बे वक्त तक केसर का फूल बर्फ से ढका रहता है. साथ ही जिस माइनस डिग्री तापमान की जरूरत केसर को होती है वो कश्मीर में उसे लगातार मिलता है. इसके चलते होता यह है कि केसर में भरपूर मात्रा में अरोमा बनता है, जो इसे दुनियाभर की केसर से खास बनाता है. यही वजह है कि बाजारों में ईरानी केसर पर कश्मीरी केसर का टैग लगाकर बेचा जा रहा है. जबकि दोनों की ही क्वालिटी में बहुत फर्क है.
जम्मू-कश्मीर एग्रीकल्चर के पूर्व डायरेक्टर सैय्यद अलताफ की मानें तो कश्मीर में होने वाली केसर पूरी तरह से ऑर्गनिक है. अरोमा की मात्रा खूब है. जबकि ईरानी केसर में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल किया जाता है. जिसके चलते कश्मीरी केसर ईरान ही नहीं अफगानिस्तान, चीन, पुर्तगाल और दूसरे देशों के मुकाबले तीन गुना बेहतर है. कश्मीरी केसर दवाईयों में इस्तेमाल के लिए हाथों-हाथ बिक जाती है. फार्मा कंपनियां आज भी दुनियाभर की केसर को छोड़ कश्मीर की केसर को ही पसंद करती हैं.
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