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23 साल पहले अचानक पूरे गांव के खेत में भर गया बालू, अब इस फसल की खेती ने किसानों की बदली किस्मत

23 साल पहले अचानक पूरे गांव के खेत में भर गया बालू, अब इस फसल की खेती ने किसानों की बदली किस्मत

तरबूज एक ऐसी फसल है, जो 75 से 90 दिनों में ही तैयार हो जाती है. साथ ही इसकी खेती में सिंचाई और उर्वरक की भी बहुत कम जरूरत पड़ती है. अगर किसान जनवरी में इसकी बुवाई करते हैं, तो अप्रैल से मार्केट में तरबूज बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं.

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तरबूज की खेती में है बंपर कमाई. (सांकेतिक फोटो) तरबूज की खेती में है बंपर कमाई. (सांकेतिक फोटो)

गर्मी के मौसम आते ही मार्केट में तरबूज की मांग बढ़ जाती है. क्योंकि गर्मी के मौसम में इसका सेवन करने से इंसान को लू लगने की संभावना कम रहती है. साथ ही शरीर में पानी की कमी नहीं होती है. इससे डिहाइड्रेशन भी नहीं होता है. ऐसे में तरबूज खाने के बाद इंसान खुद को तरोताजा महसूस करता है. ऐसे भी तरबूज पोषक तत्वों का खजाना है. इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम और विटामिन ए, बी 6 और सी सहित कई तरह के तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के समग्र विकास में मदद करते हैं. अगर किसान तरबूज की खेती करते हैं, तो गर्मी के मौसम में अच्छी कमाई कर सकते हैं.

तरबूज एक ऐसी फसल है, जो 75 से 90 दिनों में ही तैयार हो जाती है. साथ ही इसकी खेती में सिंचाई और उर्वरक की भी बहुत कम जरूरत पड़ती है. अगर किसान जनवरी में इसकी बुवाई करते हैं, तो अप्रैल से मार्केट में तरबूज बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे किसानों के बारे में बताएंगे, जिनकी किस्मत तरबूज की खेती से बदल गई. इनमें से एक किसान का नाम संजीव कुमार सिंह है. वे बिहार के बांका जिले के रहने वाले हैं. वे तरबूज की खेती से पिछले 22 साल से अच्छी कमाई कर रहे हैं.

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200 बीघे में तरबूज की खेती

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, संजीव कुमार सिंह का कहना है कि उनके गांव का नाम सिंहनान है. सिंहनान को पूरे जिले में तरबूज उत्पादक गांव के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यहां पर किसान बड़े स्तर पर तरबूज की खेती करते हैं. यही वजह है कि संजीव भी साल 2001 से गांव में तरबूज की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि शुरुआत में कुछ ही किसान तरबूज की खेती करते थे. लेकिन अब मेरे गांव में तरबूज का रकब करीब 200 बीघे में फैल गया है. इससे किसानों की अच्छी कमाई हो रही है.

जनवरी में होती है बुवाई

संजीव कुमार सिंह की माने तो सिंहनान गांव में किसान पहले धान-गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते थे. लेकिन साल 2001 में नदी का बांध टूट गया, जिससे गांव के खेतों में बालू भर गया. इसके बाद किसानों ने तरबूज की खेती शुरू कर दी. उन्होंने कहा कि हमारे में गांव में किसान जवरी से तरबूज की रोपाई शुरू कर देते हैं, जो मार्च महीने तक चलता है. वहीं, कुछ किसान पॉली हाउस के अंदर भी इसकी खेती करते हैं. वे नवंबर-दिसंबर में इसकी बुवाई शुरू कर देते हैं. उनकी माने तो रोपाई के 90 दिन बाद तरबूज की तोड़ाई शुरू हो जाती है.

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तरबूज से लाखों रुपये की कमाई

किसान संदीप कुमार सिंह ने कहा कि तरबूज के एक पौधों तो तैयार में 20 से 25 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. तीन महीने बाद जब फसल की कटाई शुरू होती है, तो एक फल का वजन 5 से 7 किलो होता है. अभी मार्केट में 40 से 50 रुपये किलो तरबूज बिक रहा है. वहीं, तरबूज का औसत उत्पादन 140 से 150 क्विंटल प्रति एकड़ होता है. इस तरह संदीप सहित पूरे गांव के किसान एक सीजन में तरबू बेचकर लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं.