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महाराष्ट्र के नंदुरबार में शुरू हुई केसर की खेती, इंजीनियरिंग के छात्र ने किया कमाल

महाराष्ट्र के नंदुरबार में शुरू हुई केसर की खेती, इंजीनियरिंग के छात्र ने किया कमाल

भारत का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की ठंडी हवा वाले क्षेत्र और जलवायु में उत्पन्न होने वाली यह फसल अब महाराष्ट्र जैसे गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में भी उगने लगी है. ऐसा टेक्नोलॉजी से संभव हुआ है. पारंपरिक खेती से कुछ अलग काम करने की कोशिश रंग लाई और नंदुरबार में केसर खिल गया.

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इंजीनियरिंग छात्र केसर की खेती कमा रहा है अच्छा मुनाफा इंजीनियरिंग छात्र केसर की खेती कमा रहा है अच्छा मुनाफा

केसर की खेती के लिए अब तक सिर्फ कश्मीर ही जाना जाता है. हालांकि, इसकी खेती अब महाराष्ट्र जैसे गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में भी होने लगी है. महाराष्ट्र में भी अब कुछ किसान केसर खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. राज्य के नंदुरबार जैसे गर्म वातावरण वाले इलाके में कंप्यूटर इंजीनियरिग के छात्र ने टेक्नोलॉजी के सहारे सफलतापूर्वक केसर की खेती की है. नंदुरबार के हर्ष मनीष पाटिल नाम के एक इंजीनियरिंग छात्र ने इस फार्म की शुरुआत की है. भारत का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की ठंडी हवा वाले क्षेत्र और जलवायु में उत्पन्न होने वाली यह फसल अब महाराष्ट्र जैसे गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में भी उगने लगी है.

राज्य के किसान कृषि क्षेत्र में हुए इस अनोखे प्रयोग की सराहना कर रहे हैं. नंदुरबार जिले के खेदड़ीगर में रहने वाले हर्ष मनीष पाटिल एक इंजीनियरिंग छात्र हैं. वह डीवाई पाटिल कॉलेज में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहे हैं .उन्होंने कृषि को अपने पिता की पारंपरिक खेती से अलग पैसा कमाने के विकल्प के तौर पर विकसित करने को सोचा. उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया. इसके लिए उन्होंने टेक्नोलॉजी का सहारा लिया.

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छोटे से कमरे में शुरू हुई केसर की खेती

केसर की खेती के लिए ठंडी जलवायु आवश्यक है. इसके लिए युवा किसान हर्ष ने लगभग 15 बाई 15 के कमरे में अपना सेटअप तैयार किया. कमरे में एसी की व्यवस्था की. फिर कश्मीर के पंपोर से मोगरा किस्म का केसर ले आया. केसर की खेती के अनुकुल वातावरण बनाने के लिए उन्होंने पूरे कमरे में थर्माकोल चिपका दिया. इससे मोगरा केसर के उगने के लिए एक अच्छा वातावरण तैयार हुआ. केसर 3 लाख रुपये प्रति किलो के भाव पर बिकता है.

कितना आया खर्च?

इस सारे प्रयोग को करने में हर्ष ने करीब पांच लाख रुपये खर्च किए. बता दें कि एक केसर का बीज बोया जाता है तो उसमें तीन से चार केसर पैदा होते हैं. इसका एक कंद लगभग आठ से दस साल तक पैदा किया जा सकता है. यह प्रयोग करीब ढाई से तीन महीने से सफलतापूर्वक चल रहा है, फिलहाल बीज में फूल आ गया है और केसर खिल गया है. पहले चरण में तीन सौ ग्राम केसर का उत्पादन  होने की संभावना है. (रिपोर्ट/रोहिणी विशाल ठाकुर)

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