कहते हैं जूनून हो तो कोई भी काम करना मुश्किल नहीं है. ऐसी ही एक कहानी है पंजाब के कपूरथला में परमजीतपुरा गांव के रहने वाले 63 वर्षीय फुमन सिंह की. फुमन सिंह कौररा का परिवार शुरू से ही पारंपरिक खेती से जुड़ा हुआ था. उन्हाेंने अपने पिता और दादा को खेताें में जीतोड़ मेहनत करते हुए देखा, लेकिन घर के आर्थिक हालात बहुत अच्छे नहीं थे. एक समय ऐसा आया जब उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर खेती में उतरना पड़ा. इस दौरान उन्होंने परिवार के साथ धान और गेहूं की खेती की और डेयरी फार्म चलाया, लेकिन जल्द ही समझ गए कि यह व्यवसाय उनके लिए लाभदायक नहीं है. इसके बाद उन्होंने खेती में नए विकल्प खोजने शुरू किए.
'द बेटर इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, फुमन सिंह ने वर्ष 1993 में आसपास के किसानों को गाजर की खेती करते देखा तो उन्हें भी इस फसल की खेती में रुचि पैदा हुई और वे एक किसान से मदद मांगने पहुंच गए, लेकिन वहां से अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने अपनी 4.5 एकड़ जमीन पर गाजर की खेती करना शुरू कर दिया.
वो दिन हैं और आज का दिन है, जब फुमन सिंह के पास करीब 37 एकड़ जमीन है और उनके दो भाइयों की जमीन भी मिला ली जाए तो उनके परिवार के पास 80 एकड़ से ज्यादा जमीन है. इस पूरी जमीन पर वे गाजर उगाने और बीज की पैदावार के लिए खेती करते हैं. उनके खेत पर प्रति एकड़ 110 क्विंटल से 250 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार होती है, जिससे वे सालाना 1 करोड़ रुपये से ज्याद कमा रहे हैं. इसके अलावा वे धान और मक्का की खेती भी करते हैं.
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फुमन सिंह ने अपने इलाके के पास में ही कृषि विश्वविद्यालय जाकर किताबों से गाजर की खेती से जुड़ी बारीकियां सीखीं और खेती में लग गए. उनका पहला ही प्रयोग सफल रहा और वे आज तक इसकी खेती कर रहे हैं. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर नई वैरायटी और तकनीकों के बारे में सीखा. आज के समय फुमन सिंह को अपनी उपज बेचने के लिए किसी बाजार नहीं जाना पड़ता, बल्कि व्यापारी खुद उनके पास आते हैं.
फुमन सिंह ने बताया कि वे पहले पटियाला से बीज खरीदकर लाते थे, लेकिन 10 साल पहले उन्होंने पहली बार अपने इस्तेमाल के लिए बीज उत्पादन के लिए खेती शुरू की और धीरे-धीरे इसका भी व्यापार करना शुरू कर दिया. आज उनके पास 650 एकड़ से ज्यादा रकबे पर बोने के लिए बीज का भंडार मौजूद है. वह मांग के आधार पर एक से डेढ़ हजार रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज की बिक्री करते हैं.
पुराने समय को याद करते हुए फुमन कहते हैं जिस किसान ने मेरी मदद करने से मना कर दिया था, उसने मेरे अंदर एक चिंगारी पैदा की और मैंने उससे कहा कि मैं गाजर की खेती करके अपना नाम बनाकर आपको दिखाऊंगा. आज वे अपने घर पर ही गाजर की खेती के बारे में लोगों को जानकारी देते हैं और जरूरत पड़ने पर उनके खेत जाकर भी उनकी मदद करते हैं.
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