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परवल से 3 लाख की कमाई, पौन एकड़ खेत में 110 क्विंटल उपज लेते हैं बनारस के किसान राजेंद्र पटेल

परवल से 3 लाख की कमाई, पौन एकड़ खेत में 110 क्विंटल उपज लेते हैं बनारस के किसान राजेंद्र पटेल

किसान राजेंद्र पटेल ने शुरू में अपने पौन एकड़ खेत में परवल की नई किस्म को लगाया और इसके उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई, प्लास्टिक गीली घास का उपयोग किया. उन्होंने उपज बढ़ाने के लिए पुरानी परंपराओं और वैज्ञानिक तरीकों का पालन किया और कमाई बढ़ाई.

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परवल की खेती परवल की खेती

देश में किसान अब धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. पारंपरिक फसलों के साथ-साथ वे कम समय में बढ़िया मुनाफा देने वाली फसलों की भी खेती करने लगे हैं. इस दौरान किसान अब सीजनल सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं. परवल एक ऐसी ही सिजनल सब्जी है जिसकी खेती करके किसान बेहतर कमाई कर रहे हैं. ऐसे ही एक किसान हैं राजेंद्र सिंह पटेल जो बनारस के हरिपुर गांव के रहने वाले हैं. राजेंद्र पटेल आईसीएआर-आईआईवीआर के सुझाव का उपयोग करके 2019 से काशी परवल-141 उगा रहे हैं, जिसमें वे तीन लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. तीन साल में उन्हें छह लाख तक की कमाई हो चुकी है. हालांकि लागत निकाल दें तो यह मुनाफा तीन लाख के आसपास है.

वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल

किसान राजेंद्र पटेल ने शुरू में अपने पौने एकड़ जमीन पर इस किस्म को लगाया और इसके उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई, प्लास्टिक गीली घास का उपयोग किया. उन्होंने इसकी खेती के लिए ट्रेनिंग ली पुरानी परंपराओं और वैज्ञानिक तरीकों का पालन किया करते हुए बंपर उत्पादन लिया. उन्होंने आईसीएआर के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए विभिन्न तकनीकी उपायों का भी इस्तेमाल किया.

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परवल से 3 लाख रुपये की कमाई

राजेंद्र पटेल ने पहले वर्ष में 95 क्विंटल परवल उत्पादन किया जो धीरे-धीरे दूसरे और तीसरे वर्ष में बढ़कर 110 क्विंटल हो गया. इसके साथ ही उन्होंने 3 लाख रुपये की कमाई की है. इसके अलावा उन्होंने परवल को छोटी जोत से टिकाऊ कमाई के लिए एक उपयुक्त फसल बताया क्योंकि इसकी उपलब्धता के दौरान कीमत में उतार-चढ़ाव नहीं होता है. ये पूरे साल बाजार मूल्य से नीचे नहीं जाता है और हमेशा किसानों को इसकी कीमत 20 प्रति किलो मिल जाती है. ऐसे में राजेंद्र पटेल उन किसानों के लिए एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं जो परवल की खेती करना चाहते हैं. 

परवल की किस्म की जानें खासियत

परवल में विटामिन, खनिज और आहार फाइबर अधिक होते हैं. औषधीय गुणों के लिए भी यह काफी महत्वपूर्ण सब्जी है. ये अन्य कद्दूवर्गीय सब्जियों की तुलना में अधिक पौष्टिक माना जाता है. इसका इस्तेमाल सब्जी के अलावा मिठाई बनाने में भी किया जाता है. बारहमासी होने के कारण, परवल के फल दिसंबर और जनवरी वाले सर्दियों के महीनों को छोड़कर लगभग पूरे वर्ष बाजार में उपलब्ध रहते हैं.

परवल की किस्म काशी परवल-141 को आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में विकसित किया गया था. इसकी विशेषता इसके धुरी के आकार के फल हैं जो के हल्के हरे रंग के होते हैं और लंबाई में 8 से 10 सेमी होते हैं. इस किस्म के परवल पूर्वी उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से वाराणसी और आसपास के इलाकों में बहुत आम और लोकप्रिय हैं.