
किसानों की आय डबल करना एक बड़ा मुद्दा रहा है. राजनीति में भी इसकी बात की जाती रही है. इसके लिए जरूरी है कोई न कोई ऐसा तरीका, जो आपको बाकियों से अलग बनाए. पोल्ट्री में एक ही जगह पर बत्तख, मुर्गी, बटेर का एक साथ पालन कर आय को डबल करने का काम दो भाइयों ने किया है. इन दोनों भाइयों का नाम है सौरभ कुमार और गौतम कुमार. दोनों बिहार के हैं. गया जिले के परैया प्रखंत में उत्तरी बाजार के निवासी दोनों भाई महीने में लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं.
आइए, इन भाइयों के बारे में जानते हैं. गौतम कुमार सरकारी टीचर की नौकरी करते हैं. लेकिन इसके साथ पोल्ट्री के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. ये दोनों भाई एक ही स्थान पर बत्तख, मुर्गी, बटेर पालन के साथ अंडा का बिजनेस कर रहे हैं. गौतम के इस सफर में उनके भाई सौरभ कुमार साथ निभा रहे हैं. ये दोनों भाई आज अपने जिले के एक सफल पोल्ट्री व्यवसायी बन चुके हैं. गौतम कुमार और सौरभ कुमार का कहना है कि वे एक ही स्थान पर बत्तख, मुर्गी, बटेर का पालन इसलिए कर रहे हैं, ताकि ग्राहक को एक ही स्थान पर मीट व अंडा आसानी से उपलब्ध हो सके. उन्हें कहीं दूसरी जगह न जाना पड़े.
गौतम कुमार 2021 से इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. इनके भाई सौरभ कुमार ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान गया से पोल्ट्री का प्रशिक्षण लेकर अपने भाई के कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं. गौतम कुमार ने देसी जुगाड़ से हैचरी मशीन भी बना डाली है, जिससे चूजों की जरूरत को काफी हद्द तक पूरा कर रहे हैं.
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गौतम कुमार के परिवार में करीब सभी लोग सरकारी टीचर हैं. सौरभ कुमार के पास अभी सरकारी नौकरी नहीं है. लेकिन इसकी तैयारी कर रहे हैं. गौतम और सौरभ की जोड़ी चार कट्ठा में पोल्ट्री का व्यवसाय कर रही है. सौरभ कुमार कहते हैं कि वे कम जगह में मुर्गियों का पालन कर रहे है. बत्तख, देसी मुर्गी, कड़कनाथ, बटेर सभी को मिलाकर पांच हज़ार के आसपास हैं. इनसे महीने का शुद्ध कमाई एक लाख के आसपास हो जाती है. वहीं इतनी जमीन में केवल एक तरह के मुर्गी, बत्तख और बटेर का पालन करता तो इतनी कमाई नहीं हो पाती. अब एक ही स्थान पर ग्राहक को मीट व अंडा आसानी से उपलब्ध हो जाता है.
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गौतम कुमार पिछले दो साल से पोल्ट्री के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. वे कहते हैं कि मुझे लगा कि बाहर से चूजे खरीदने से बढ़िया है कि ख़ुद हैचरी मशीन की मदद से चूजा तैयार किया जाए. इसके बाद इन्होंने पांच सौ चूजा तैयार करने वाली हैचरी मशीन देसी जुगाड़ से तैयार की. ये कहते हैं कि पांच सौ अंडों से चूजा तैयार करने वाली मशीन की कीमत पच्चीस हज़ार के आसपास है. वहीं उन्होंने यह मशीन मात्र दस हज़ार की लागत से देसी जुगाड़ की मदद से तैयार कर ली है. हैचरी मशीन बनाने में प्लाई,थर्माकोल, बल्ब ,एग्जॉस्ट फैन सहित तापमान और ड्राई मापने वाली मशीन का उपयोग किया है. उन्हें ये मशीन बनाने का विचार सोशल मीडिया से मिला.
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