कहते हैं कि इंसान में हिम्मत तो वह काफी कुछ कर सकता है. फिर भले ही परिस्थितियां कितनी ही कठिन क्यों न हों, वो भी पक्ष में आने लगती हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं, जहां एक महिला अपनी से परिस्थितियों से जूझकर, लड़कर जीती और अबला से सबला बन गई. यह कहानी है मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के चौरई ब्लॉक के छोटे से गांव मोहगांव खुर्द की रहने वाली सुशीला देवी वर्मा की. कहने को तो सुशीला एक साधारण ग्रामीण महिला हैं, लेकिन उनकी हिम्मत और काम के प्रति लगन ने उन्हें असाधारण व्यक्तिव का धनी बना दिया है.
सुशील देवी ने सिर्फ 8वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की है, लेकिन अपने जीवन के संघर्षों से लड़कर जो मुकाम हासिल किया है, उससे वह प्रदेश की अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा का जीवंत उदाहरण बन गई हैं. सुशीला अब 'समता सखी' के नाम से लोकप्रिय हैं.
सुशील कुछ साल पहले तक घरेलू जिम्मेदारियों और आर्थिक तंगी से जूझ रहीं थीं, लेकिन फरवरी 2022 में उनके जीवन में एक नया मोड़ आया, जिससे सब-कुछ बदल गया.
गांव की महिलाओं ने उन्हें "सुहानी स्व-सहायता समूह" के बारे में जानकारी दी , जो महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने के लिए ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बनाया गया था. सबकुछ जानने के बाद सुशीला इस समूह से जुड़ गईं और अन्य महिलाओं से मिलकर उनकी आय के लिहाज से कामकाज समझ बढ़ने लगी. शुरूआत में समूह से जुड़ी सुशीला को 12 हजार रुपये आर्थिक मदद मिली, जिससे उन्होंने बेहद कम मुनाफे में चल छोटी-सी दुकान का विस्तार किया और सामान बढ़ाया. इससे उनकी हिम्मत बढ़ी.
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कुछ समय बाद सुशीला ने दुकान को बेहतर तरीके से चलाने के साथ-साथ खेती और सब्जी व्यापार पर ध्यान दिया और समूह से और ज्यादा मदद हासिल कर गांव-गांव जाकर सब्जी बेचने के लिए 'छोटा-हाथी' मालवाहक वाहन खरीदा और उनकी किस्मत बदल गई. अब सुशीला हर सुबह अपने लोडिंग वाहन पर सब्जियां लादकर गांव-गांव जाती हैं और शाम को मंडी में अनाज बेचती हैं. इसके साथ ही धीरे-धीरे उनकी मासिक आय बढ़ रही है.
पहले सुशीला के घर में पैसों की कमी रहती थी, वहीं अब वह अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए भी पैसों की बचत करने लगीं हैं. अब उनकी मासिक आय करीब 10 हजार रुपये तक पहुंच गई है, जो उनके लिए राहत भरा बदलाव है. आज सुशीला "जयकरण ग्राम संगठन" की सचिव हैं और 'समता सखी' के रूप में भी काम करती हैं. सुशीला ने अपनी मेहनत से न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया है, बल्कि समाज में भी एक मजबूत पहचान बनाई है.
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