धनबाद के युवा किसान ने शुरू की विदेशी आम की खेती, 1 किलो की कीमत है 3 लाख रुपये

धनबाद के युवा किसान ने शुरू की विदेशी आम की खेती, 1 किलो की कीमत है 3 लाख रुपये

रवि निषाद धनबाद के भूली के रहने वाले युवा किसान हैं. वे अपने इलाके में पिछले 15 सालों से फलों और सब्जियों की खेती कर रहे हैं. खास बात यह है कि रवि एग्री रिसर्च सेंटर, जय धरती मां फाउंडेशन की मदद से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं.

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धनबाद के युवा किसान ने शुरू की विदेशी आम की खेती, 1 किलो की कीमत है 3 लाख रुपयेधनबाद में विदेशी आम की खेती.

धनबाद को पूरे देश में कोयले के लिए जाना जाता है. यहां पर कोयले की कई बड़ी-बड़ी खदानें हैं. यहां की खदानों से निकाले गए कोयले की सप्लाई भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में होती है. ऐसे में लोगों को लगता है कि धनबाद जिले में खेती नहीं होती है. यहां के लोगों के लिए आजीविका का साधन सिर्फ कोयला ही है. लेकिन ऐसी बात नहीं है, यहां पर किसान बड़े स्तर पर खेती भी करते हैं. यहां के किसान धान- गेहूं ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे महंगे आम की खेती कर रहे हैं. ऐसे ही एक युवा किसान रवि निषाद हैं, जो आम के साथ-साथ हरी सब्जियों की खेती से बंपर कमाई कर रहे हैं.

दरअसल, रवि निषाद धनबाद के भूली के रहने वाले युवा किसान हैं. वे अपने इलाके में पिछले 15 सालों से फलों और सब्जियों की खेती कर रहे हैं. खास बात यह है कि रवि एग्री रिसर्च सेंटर, जय धरती मां फाउंडेशन की मदद से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. खेती के साथ-साथ रवि पर्यावरण के लिए भी काम कर रहे हैं. उनका पर्यावरण संरक्षण और कृषि के क्षेत्र में विकास मुख्य उद्देश्य है. रवि ने अपने रिसर्च सेंटर में जापान में लाखों रुपए किलो बिकने वाले आम के पौधे लगाए हैं. इस आम का नाम मियाजाकी है. जापान के शहर के नाम पर इस आम का नाम है. इंटरनेशनल मार्केट में इसकी कीमत ढ़ाई से तीन लाख रुपए प्रति किलो है.

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बंगाल से लाया आम का पौधा

बहरहाल रवि निषाद की कोशिश से कोयलांचल की काली धरती पर विदेशी आम की खेती देखने को मिल रही है. अगर ये पूरी तरह से सफल होते हैं, तो धनबाद के लोग भी इस बे़शकीमती आम का सेवन कर सकेंगे. रवि निषाद ने बताया कि हमने बंगाल के रहने वाले एक मित्र के माध्यम से आम की इस प्रजाति को यहां लाया है.

पेड़ में आम लगने शुरू हो गए हैं

रवि ने कहा कि धनबाद के वैसे किसान जिन्होंने जमीन रहते हुए खेती छोड़ दी है, उन्हे फिर से खेती में वापस लाना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है. पिछले दो सालों से रिसर्च चल रहा है. अब मियाजाकी के पेड़ में आम के फल लगने शुरू हो गए हैं. आम पकने के बाद बेहतर जानकारी के लिए इसे रिसर्च लैब में भेजा जाएगा. वहीं एग्री रिसर्च सेंटर के रंजीत कुमार ने बताया कि यहां सेव, अंजीर और चीकू सहित कई तरह के फल लगाए गए हैं. जापान के आम मियाजाकी को धनबाद की धरती पर लाकर टेस्ट किया जा रहा है. इसके बेहतर परिणाम देखने को अब मिल रहे हैं. (रिपोर्ट- सिथुन मोदक)

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