मिर्ची की खेती के लिए मशहूर हो रहा राजस्‍थान का ये गांव, कई राज्‍यों में सप्‍लाई कर लख‍पति बने किसान

मिर्ची की खेती के लिए मशहूर हो रहा राजस्‍थान का ये गांव, कई राज्‍यों में सप्‍लाई कर लख‍पति बने किसान

यूं तो राजस्‍थान में विभ‍िन्‍न फसलों की खेती होती है. लेकिन राज्‍य के बांसवाड़ा जिले का एक छोटा सा गांव मिर्ची की खेती की वजह से अब अपनी अलग पहचान कायम कर रहा है. यहां लगभग हर किसान मिर्ची की खेती करता है और लगभग सभी लखपति हैं.

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मिर्ची की खेती के लिए मशहूर हो रहा राजस्‍थान का ये गांव, कई राज्‍यों में सप्‍लाई कर लख‍पति बने किसानमिर्ची की खेती से बनी मसोट‍िया गांव की पहचान.

राजस्‍थान के बांसवाड़ा में वैसे तो गेहूं, मक्का, सोयाबीन, चना, बैंगन व अन्‍य सब्ज़ियों की खेती प्रमुख रूप से होती है, लेकिन यहां का एक गांव ऐसा है, जहां किसान खासतौर पर मिर्ची की खेती करते हैं और इस गांव के नाम से ही यहां की मिर्ची की पहचान  बन गई है. यहां कि मिर्ची इतनी अच्‍छी मानी जाती है क‍ि दूसरे राज्‍यों से आकर लोग यहां से खरीदकर ले जाते हैं. वहीं, फाइव स्टार होटल्स, रेस्टोरेंट के शेफ भी इस गांव की मिर्ची को तरजीह देते हैं. इस गांव का नाम मसोटिया है और यहां उगने वाली मिर्ची अब ‘मसोटिया मिर्ची’ के नाम से जानी जाती है. यहां की मिर्ची बहुत तीखी होती है, जो खाने का ज़ायका बढ़ा देती है.

मसोटिया में आजादी के पहले से हो रही मिर्ची की खेती

मसोटियां गांव बांसवाड़ा शहर से सिर्फ 18 किलोमीटर दूर है, जहां आजादी से पहले से ही मिर्ची की खेती होती रही है और यह इसके लिए बहुत प्रस‍िद्ध हासिल कर रहा है. यह बात और है कि राज्‍य के मेवात, शेखावाटी, मारवाड़ क्षेत्र में मिर्ची की फसल ज्‍यादा नहीं होती, लेकिन इनके बीच मसोटिया के किसानों की उगाई मिची की एक अलग पहचान बनी हुई है. बांसवाड़ा की जमीन उपजाऊ होने के साथ ही मौसम भी मिर्ची की खेती के लिए अनुकूल है. यही वजह है कि मसोटिया गांव के लोग मिर्ची की खेती से ही अपना अच्‍छा मुनाफा कमा रहे हैं.

250 में से 180 परिवार मिर्च की खेती कर रहे

मसोटिया गांव  बांसवाड़ा शहर से डूंगरपुर जाने वाले स्टेट हाईवे के नजदीक बसा है. मसोटिया में किसान अन्‍य फसलों के साथ मिर्ची की खेती जरूर करते हैं. यहां ये परंपरा 80 साल से भी ज्‍यादा समय से जारी है, जो अब लगभग इस गांव के किसानों के जीवन का हिस्‍सा बन गई है. 'दैनिक भास्‍कर' की रिपोर्ट के मुताबिक, इस गांव में करीब 250 किसान परिवार हैं,‍ जि‍नमें से करीब 180 परिवार मिर्ची की खेती जरूर करते हैं.

एक सीजन में लख‍पति बन जाता है किसान

गांव के सरपंच वालेग भाई ने बताया कि यहां किसान पीढ़ी दर पीढ़ी मिर्च की खेती करते आ रहे हैं. यहां की मिट्‌टी में मिर्च का बंपर उत्पादन होता है. किसी किसान के पास अगर 20 बीघा खेती भी हो तो वो कुछ बीघा में सिर्फ मिर्च की खेती जरूर करता है. सितंबर से फरवरी तक मिर्ची  का सीजन होता है और इन महीनों में ही किसान मिर्ची की खेती से लखपति बन जाता है. यहां की मिर्ची बांसवाड़ा मंडी के अलावा दूसरे राज्यों में भी बिकती है. एक बीघा जमीन पर मिर्ची की 15 से 20 क्विंटल उपज होती है, जिससे किसानों को तगड़ा मुनाफा होता है.

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7 से 8 महीने मिलता है उत्‍पादन

किसानों ने बताया कि खेत में पौधे लगने के दो से ढाई महीने बाद उन्‍हें उपज मिलने लगती है. वे महीने में दो बार मिर्ची तोड़ते हैं. अच्‍छी ग्रोथ होने पर 7 से 8 महीने तक उपज मिलती रहती है. एक बीघा जमीन पर मिर्ची की खेती में सभी कामों के खर्च मिलाकर 40 हजार रुपये की लागत आती है. ऐसे में किसानों को एक बीघा से ही एक से दो लाख रुपये का मुनाफा मिल जाता है.

कृषि अध‍िकारी ने क्‍या कहा?

मसोटिया के कृषि पर्यवेक्षक और सहायक कृषि अधिकारी पंकज चरपोटा ने जानकारी देते हुए बताया क‍ि इस गांव के किसानों की सफलता को देखते हुए अन्‍य गांवों में भी किसान मिर्ची की खेती में हाथ आजमा रहे हैं. मसोटिया के किसानों को मिर्ची से अच्‍छी कमाई हासिल हो रही है. कृषि अध‍िकाररी ने बताया कि यहां की रेतीली-काली मिट्टी मिर्च की खेती के लिहाज से बढ़‍िया है और जलवायु भी आर्द्र है. सर्दियों में अगर पाला की समस्‍या न हो तो बंपर उत्‍पादन मिलता है. यहां की मिर्ची पैक होने के बाद 21 दिन तक खराब नहीं होती, जिसका आचार के लिए इस्‍तेमाल होता है.

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