Crop nutrient deficiency symptoms: नाइट्रोजन, फास्फोरस या पोटाश… आपकी फसल में किस की कमी? इन तरीकों से लगाएं पता

Crop nutrient deficiency symptoms: नाइट्रोजन, फास्फोरस या पोटाश… आपकी फसल में किस की कमी? इन तरीकों से लगाएं पता

फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि nitrogen, phosphorus या potassium deficiency in crops कहां है. सरल तरीकों से पहचानें पोषक तत्वों की कमी और पाएं बेहतर उत्पादन के लिए सही समाधान.

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नाइट्रोजन, फास्फोरस या पोटाश… आपकी फसल में किस की कमी? इन तरीकों से लगाएं पताफसल के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश सबसे अहम

किसी भी फसल के लिए तीन सबसे मूलभूत पोषक तत्व चाहिए होते हैं, N-P-K. यानी नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (पोटैशियम). ये तीनों ही चीजें पौधे के सही विकास के लिए मूलभूत आधार हैं, लेकिन इन तीनों का काम अलग-अलग है. किसी भी फसल में इन तीनों ही चीजों की मात्रा जब ऊपर-नीचे होती है तो इससे पूरी फसल और पैदावार खराब हो सकती है. ऐसे में ये बहुत जरूरी है कि किसान को समय रहते पता लग जाए कि उसकी फसल में कौन से पोषक तत्व की कब कमी आ रही है. दरअसल, इन तीनों ही पोषक तत्वों की कमी से फसल के पत्तों, तनों और फल में अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलते हैं. 

N-P-K का क्या है असली काम? 

नाइट्रोजन (N) - ये मुख्य रूप से पत्तियों और टहनियों को हरी करता है और उनकी ग्रोथ को बढ़ावा देता है. सीधे तौर पर नाइट्रोजन पौधों को हरा-भरा और घना करता है. ये तत्व पत्तियों की ग्रोथ के लिए सबसे अमह है. उदाहरण के तौर पर टमाटर के पौधे की शुरुआती स्टेज में, जब उसे ज्यादा पत्तियां और टहनियां मोटी चाहिए होती हैं, इस स्टेज पर नाइट्रोजन वाली खाद डालनी होती है.

फॉस्फोरस (P) - ये तत्व पौधों में फूल और फल लगने के लिए सबसे जरूरी है. इसका मुख्य काम जड़ों, फूलों और फलों के विकास में मदद करना है. फॉस्फोरस पौधे को अच्छे से फलने-फूलने में मददगार होता है. उदाहरण के तौर पर जब टमाटर के पौधे में फूल आने लगे, तब उस स्टेज में फॉस्फोरस की खाद डालनी चाहिए, ताकि ज़्यादा और अच्छे फल लगें.

पोटाश (K) - इसका काम है कि ये पौधे को ताकत देता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. पोटाश पौधे की जड़ें मजबूत करता है और पौधे को बीमारियों, सूखा और पाले से लड़ने की शक्ति देता है. उदाहरण के लिए अगर किसी पौधे में पोटाश की कमी हो जाए तो वह आसानी से किसी भी रोग की चपेट में आकर मर सकता है.

N-P-K की कमी के मुख्य लक्षण

नाइट्रोजन (N) की कमी- अगर किसी पौध में नाइट्रोजन की कमी हो रही होगी तो इसके पत्ते पीले या फिर हल्के हरे होने लगते हैं. शुरुआती स्टेज में पौधे के पुराने और नीचे वाले पत्तों का रंग बदलना शुरू होता है. नाइट्रोजन की कमी से पौधा बौना और कमजोर भी रह जाता है. वहीं फलियों में दाने हल्के और इनकी संख्या कम हो जाती है. नाइट्रोजन की कमी से पौधे में पीलापन नीचे से ऊपर की ओर बढ़ता है. इससे निपटने के लिए फसल में यूरिया या अमोनियम सल्फेट डालें.

फास्फोरस (P) की कमी - इसकी कमी से पौधे की बढ़वार या तो धीमी हो जाती है या रुक जाती है. अगर फसल में फास्फोरस की कमी होगी तो पौधों के पत्ते गहरे हरे लेकिन हल्के बैंगनी या जामुनी रंग के होने लगते हैं. बैंगनीपन ज़्यादातर पौधों में नीचे के पत्तों और तनों पर दिखता है. मौसम ज्यादा ठंडा होता है तो ये साफ दिखता है. फास्फोरस की कमी से पौधे की जड़ें छोटी और कमजोर हो जाती हैं. इससे निपटने के लिए सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP), DAP या फॉस्फोरस युक्त उर्वरक डालें.

पोटाश (K) की कमी - फसल में पोटाश की कमी से पत्ते किनारे से जलने लगते हैं. दिखने में पत्ते किनारे से भूरे या पीले हो जाते हैं. इस तत्व की कमी होने से पौधे अपनी लचक खो देते हैं और जल्दी गिरने लगते हैं. अगर पोटाश की कमी हो जाए तो फसल में जल्दी रोग लगते हैं और कीट में बहुत तेजी से लगते हैं. इसकी कमी से पत्तियों में पीलेपन के साथ पत्तियां किनारे से जलने लगती हैं. ये लक्षण दिखने पर म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) या सल्फेट ऑफ पोटाश डाल सकते हैं.

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