मां-बाप की सेवा के ल‍िए छोड़ी 72 लाख की नौकरी, अब 100 बीघे में जैव‍िक खेती कर कायम की म‍िसाल

मां-बाप की सेवा के ल‍िए छोड़ी 72 लाख की नौकरी, अब 100 बीघे में जैव‍िक खेती कर कायम की म‍िसाल

नागौर शहर के निवासी मनीष कुमार शर्मा इंग्लैंड में नौकरी कर रहे थे. लेक‍िन मां-बाप की सेवा उन्हें भारत खींच लाई. वह अपने खेत में बाजरा, गेंहू, जीरा, कपास और सब्ज‍ियां उगाते हैं. इससे सालाना 15 लाख रुपए की इनकम होती है. साथ में मां-बाप की सेवा भी कर पाते हैं. 

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मां-बाप की सेवा के ल‍िए छोड़ी 72 लाख की नौकरी, अब 100 बीघे में जैव‍िक खेती कर कायम की म‍िसाललाखों की नौकरी छोड़ शुरू की जैव‍िक खेती

कलयुग के श्रवण कुमार होने का उदाहरण नागौर के एक बेटे ने दिया है. नागौर का यह बेटा ब्रिटेन में सालाना 72 लाख रुपए के पैकेज पर एप्पल कंपनी में कार्यरत था. लेकिन मां-बाप से बात करने के लिए केवल एक माध्यम था फोन, जिससे वह बात करता था. जब कोरोना ने पूरे विश्व में हाहाकार मचाया तब वह भी ब्रिटेन से भारत आया. देखा बिना सेवा के बिना मां-बाप कैसे जीवन यापन करते हैं. जिस समय उनको सेवा करवाने की जरूरत होती हैं, उस समय पर उनको सेवा नहीं मिल रही. यह सोचकर उसने 72 लाख रुपए सालाना के पैकेज को ठोकर मारकर मां-बाप की सेवा में लग गया. साथ ही अपने गांव पर जैविक खेती करने लग गया. 

हम बात कर रहे हैं नागौर शहर के निवासी मनीष कुमार शर्मा की. वह बाजरा, गेंहू, जीरा, कपास और सब्ज‍ियां उगाते हैं. इससे सालाना 15 लाख रुपए की इनकम होती है. साथ में मां-बाप की सेवा भी कर पाते हैं. शर्मा के पास जमीन अच्छी खासी है. करीब 100 बीघा जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं. ज‍िससे अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है. दूसरे लोगों को ल‍िए वो प्रेरणा बन गए हैं. लोग उनके अपने वतन वापसी, जैव‍िक खेती और मां-बाप की सेवा को लेकर तारीफ कर रहे हैं. 

नागौर में ही है घर 

मनीष कुमार शर्मा नागौर शहर में रहते हैं. उसका पुश्तैनी घर भी नागौर में ही है. मनीष की प्राथमिक शिक्षा नागौर शहर के सरकारी विद्यालय राजकीय कांकरिया स्कूल में पूरी हुई. मनीष ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी अजमेर से BBA का कोर्स किया. तीन वर्ष तक CAS का कोर्स भी किया. उसके बाद उन्होंने सीएएस की नौकरी छोड़ी. फ‍िर यूके की एक यूनिवर्सिटी से आईबीएम एमएससी तथा पीएचडी की शिक्षा हासिल की. उसके बाद मनीष शर्मा ने मोटे पैकेज पर एप्पल में नौकरी की. 

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इतने बड़े पैकेज को आखिर क्यों ठुकराया?  

जब मनीष से इस पैकेज के ठुकराने को लेकर पूछा गया तब उन्होंने बताया क‍ि पैसे तो खूब कमा सकते हैं. लेकिन मां-बाप की सेवा का मौका नहीं मिलता है. ब्रिटेन में नौकरी करता था वहां पर मां-बाप को साथ रखना के ल‍िए वहां की सरकार इजाजत नहीं दे रही थी. मेरी इच्छा मां-बाप के साथ रहने की थी. जब कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में हाहाकर मचाया तब वह भी ब्रिटेन से भारत आए. मां-बाप की सेवा करने के ल‍िए यहीं पर रहने का फैसला ल‍िया. अपने 100 बीघा खेत में जैविक खेती करके उसको आगे बढ़ाया. जैव‍िक उत्पादों से उन्हें अच्छी कमाई हो रही है.

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