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इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर किसान ने शुरू की टमाटर की खेती, अब कमाते हैं लाखों रुपये का मुनाफा

इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर किसान ने शुरू की टमाटर की खेती, अब कमाते हैं लाखों रुपये का मुनाफा

किसान राजेश ने बताया कि जब वह शहर से लौट कर आए तो देखा कि यहां के किसान काफी मेहनती और यहां की जमीन काफी उपजाऊ है. केवल यहां पर आधुनिक तकनीक और सही दिशा निर्देश की जरूरत है. इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने खेती शुरू की.

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इंजीनियरिंग छोड़कर टमाटर की खेती इंजीनियरिंग छोड़कर टमाटर की खेती

कोविड का समय कई लोगों के लिए सबसे खराब समय रहा, लेकिन कई लोगों ने इसे अवसर के रूप में बदला. गांव के लोग खेती छोड़कर नौकरी के लिए शहर की ओर जा रहे थे. लेकिन कोविड के समय जब कोई उपाय नहीं दिखा, तो पढ़ने-लिखने के बाद फिर खेती से ही जुड़ने लगे. ऐसे ही एक किसान हैं राजेश रंजन जो झारखंड के जमशेदपुर के हैं. उन्होंने इंजीनियर बनने के बाद कई नौकरी की और अंत में गांव वापस आकर गूगल और सरकार की मदद से एक पॉलीहाउस बनवाया. इसमें उन्होंने दो तरह के टमाटर को उगाया और आज लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. दरअसल जमशेदपुर के छोटे से गांव लोआडीह में रहने वाले हैं.  

सरकारी सहायता से बदली किस्मत

किसान राजेश ने बताया कि जब वह शहर से लौट कर आए तो देखा कि यहां के किसान काफी मेहनती और यहां की जमीन काफी उपजाऊ है. केवल यहां पर आधुनिक तकनीक और सही दिशा निर्देश की जरूरत है. राजेश ने प्रधानमंत्री की योजना का लाभ उठाते हुए उन्होंने एफपीओ बनाया और इसमें उन्हें उद्यान विभाग, पशुपालन विभाग और कृषि विभाग का पूरा सहयोग मिला. उन्होंने अपने गांव में पॉलीहाउस का निर्माण किया और उसमें टमाटर की खेती की जिसमें उन्हें बेहतर लाभ मिल रहा है.

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पॉलीहाउस में लगाएं हैं 600 पौधे 

किसान राजेश ने अपने पॉलीहाउस में 600 पौधे लगाए हैं. यह पौधे 8 फीट से लेकर 12 फीट ऊंचाई तक हैं और इसमें ढाई सौ से लेकर 300 किलो तक टमाटर निकलता है. शुरुआत में टमाटर को उन्होंने 60 रुपये किलो बेचना शुरू किया और अभी भी दूसरे टमाटर का मूल्य जहां 10 से 12 रुपये है, वहां वो अपने टमाटर को 15 रुपये किलो के हिसाब से बेचते हैं. जिससे उन्हें केवल इस सीजन में ही 80000 रुपये कमाया है.

पटमदा की धातकीडीह गांव में रहने वाले सुनील महतो ने कहा कि उन्होंने टमाटर की और खीरे की खेती की है. जिसमें उन्होंने टमाटर के दो वैरायटी को लगाया है. उन्होंने कहा कि टमाटर में ग्राफ्टिंग भी होता है, जिससे पैदावार और अच्छी होती है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि कोविड के समय उन्होंने देखा की खेती को भी हम उद्योग के रूप में कर सकते हैं.

खेती के प्रति बढ़ रहा युवाओं का रुझान

युधिष्ठिर महतो जो एक छात्र हैं उन्होंने कहा कि अभी वो करीम सिटी कॉलेज के प्रथम वर्ष के छात्र हैं और उनके गांव में खेती ही आय का साधन है. उन्होंने इसी को अपना करियर बनाया है. इसी को देखते हुए किसान राजेश रंजन ने कहा कि आज गांव के जो लोग बाहर जा रहे हैं, उनके लिए खेती में भी काफी स्कोप है. साथ ही उन्होंने कहा कि खेती में युवा किसान वैल्यू एडिशन कर और नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे वो काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. आज नई तकनीक ने खेती को एक अलग रूप दे दिया है. गांव के युवा फिर से अपना काम गांव में ही करना चाहते हैं. (अनूप सिन्हा की रिपोर्ट)