मिर्च की पत्तियां सिकुड़ कर गिरने लगें तो क्या करें, रोग से बचाव का क्या उपाय है?
अगर आप भी मिर्च की खेती करते हैं और आपके मिर्च के पौधों में कीट लग रहे हैं तो आप अपनी फसलों को कीट से बचाने के लिए कई आसान उपयों को अपना सकते हैं. वहीं ऐसा माना जाता है कि मिर्च में सबसे अधिक कीट का प्रकोप देखा जाता है. इससे बचाव जरूरी होता है वर्ना फसल चौपट हो सकती है.
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मिर्च की पत्तियां सिकुड़ कर गिरने लगें तो क्या करें
भारत में हरी मिर्च का मसालों में अपना एक अहम रोल है क्योंकि चटपटे भोजन का स्वाद लेना हो तो मिर्च सबसे जरूरी चीजों में से एक है. वहीं सब्ज़ियों में प्रमुख फसल मिर्च को खरीफ और रबी दोनों ही मौसम में देश के लगभग हर राज्यों में उगाया जाता है, लेकिन बदलते मौसम का प्रभाव भी इन दिनों मिर्च की फसल पर दिखाई दे रहा है. तापमान के उतार-चढ़ाव की वजह से फसल पर कीटों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. साथ ही आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि मिर्च एक ऐसी फसल है जिस पर कीटों सबसे ज्यादा प्रभाव होता है. वहीं इन कीटों से फसलों को बचाने के लिए किसान कई तरह की दवाओं का भी इस्तेमाल करते हैं.
खासतौर पर तब जब मिर्च के पौधे पर फूल लगता है, तो कीड़ों का हमला सबसे ज्यादा होता है जिसकी वजह से शुरुआत में ही फसल खराब हो जाती है और पत्तियां सिकुड़ कर गिरने लगती हैं और फसल की क्वालिटी पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है, लेकिन अब किसानों को इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है. आइए जानते हैं कैसे.
मिर्च के पौधे पर कीट के लक्षण
कीट प्रकोप की प्रारंभिक अवस्था में पौधों की पत्तियों पर चमकीली परत बन जाती है.
अधिक प्रकोप होने पर पत्तियां झुर्रीदार, सिकुड़ी हुई और विकृत हो कर ऊपर की और मुड़ जाती हैं.
ऐसे में पौधों का विकास रुकने लगता है.
वहीं फूलों का झड़ना, कम फूल बनना और फलों का नहीं बनना आदि प्रभाव भी फसल में देखे जा सकते हैं.
मिर्च के पौधों पर कीट से नियंत्रण
किसान अपने खेतों में समय-समय पर कीट की उपस्थिति की निगरानी करते रहें.
खेत में पीला स्टिकी ट्रैप का प्रयोग करें. यह ट्रैप कीटों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जिससे कीट ट्रैप पर चिपक जाते हैं और उन्हें आसानी से नष्ट किया जा सकता है.
इसके अलावा किसान अपने खेतों में उचित मात्रा में सिंचाई का ध्यान रखें, साथ ही अधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का इस्तेमाल न करें.
अगर पौधों में कीट लग गई है तो लैम्ब्डा सिहलोथ्रिन 120 मिलीलीटर मात्रा का पानी में घोल बनाकर खेतों में छिड़काव करें.
अधिक संक्रमण होने पर फिप्रोनिल 5 फीसदी के साथ बुप्रोफेज़ीन 5 फीसदी, एससी की 300 मिलीलीटर दवा का छिड़काव प्रति एकड़ की दर से खेत में करें.