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हरियाणा के इस जिले में 20 फीसदी कम होगा गेहूं का उत्पादन, प्रति एकड़ पैदावार में भी आएगी गिरावट!

हरियाणा के इस जिले में 20 फीसदी कम होगा गेहूं का उत्पादन, प्रति एकड़ पैदावार में भी आएगी गिरावट!

हरियाणा में पिछले महीने काफी अधिक बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हुई थी. इससे गेहूं की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. खास कर रोहतक जिले में गेहूं की सबसे अधिक बर्बादी हुई है. कहा जा रहा है कि इस साल जिले में गेहूं के उत्पादन में बहुत अधिक गिरावट आने की संभावना है.

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हरियाणा में बारिश से गेहूं की बहुत अधिक बर्बादी. (सांकेतिक फोटो) हरियाणा में बारिश से गेहूं की बहुत अधिक बर्बादी. (सांकेतिक फोटो)

हरियाणा में पिछले महीने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते रबी फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा था. लेकिन बारिश और ओलावृष्टि का असर सबसे ज्यादा रोहतक जिले में देखने को मिल रहा है. कहा जा रहा है कि जिले में गेहूं की फसल की पैदावार पिछले रबी सीजन की तुलना में 20 फीसदी तक घट सकती है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि अगर पैदावार में गिरावट आती है, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विभाग के अधिकारी पैदावार में इस गिरावट का कारण मार्च महीने के दौरान क्षेत्र में हुई बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि को मानते हैं. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 2022-23 में जिले में गेहूं की खेती का क्षेत्रफल 1.03 लाख हेक्टेयर था और गेहूं की औसत उपज 41.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी. जिले में गेहूं की खेती का रकबा 2023-24 में बढ़कर 1.04 लाख हेक्टेयर हो गया, लेकिन इस साल गेहूं की औसत पैदावार लगभग 33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होने की संभावना है, जो लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट का संकेत है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक राकेश कुमार ने कहा कि मार्च में असामयिक बारिश और ओलावृष्टि से जिले में गेहूं की खड़ी फसल को नुकसान हुआ है, जिससे उपज में गिरावट की आशंका है.

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किसान कर रहे हार्वेस्टर से गेहूं कटाई

इस बीच, किसानों को गेहूं की कटाई के लिए प्रवासी श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से कई मजदूर पर्व-त्योहारों में हिस्सा लेने के लिए अपने गांवों चले गए हैं. इसलिए, हार्वेस्टर मशीनों की बड़ी मांग है. रिटोली गांव के एक युवा किसान कृष्ण कहते हैं कुछ साल पहले तक, स्थानीय किसान अपने परिवार के सदस्यों के साथ स्वयं फसल काटते थे. हालांकि, वे अब प्रवासी श्रमिकों या हार्वेस्टर पर निर्भर हो गए हैं. उधर, जिले की अनाज मंडियों में गेहूं की आवक शुरू हो गई है, लेकिन उपज में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण खरीद धीमी है. आने वाले दिनों में गेहूं खरीद में तेजी आने की संभावना है.

किसानों ने की मुआवजे की मांग

वहीं, बीते 6 अप्रैल को खबर सामने आई थी कि रोहतक अनाज मंडी में दो-तीन दिन ही किसान गेहूं की फसल ले कर पहुंचे. लेकिन सरकारी एजेंसियों ने यह गेहूं इसलिए खरीद करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसमें नमी की मात्रा सरकारी मापदंड से ज्यादा थी. ऐसे में किसानों ने गेहूं लाना बंद कर दिया था. अब मंडियों में फिर से गेहूं की आवक शुरू हो गई है. किसानों का कहना है कि इस बार बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने उनकी गेहूं की फसल को बर्बाद कर दिया. किसानों ने सरकार से मांग की है कि फसल नुकसान का मुआवजा जल्द दिलाया जाए. उनका कहना है कि सरकार किसानों को कम से कम 20 से 25 हजार रुपये मुआवजा दे तो फसल पर खर्च पूरा हो सकता है. इससे कम मुआवजा मिलने पर खेती की लागत भी नहीं निकल पाएगी. 

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