भरे चुनाव के बीच किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इस विरोध में आम जन भी शामिल हैं. नया मामला कर्नाटक का है. रविवार को चामराजनगर में किसान और स्थानीय लोग मुख्यमंत्री के बेटे का विरोध करने लगे. इन लोगों का कहना था कि सरकार उनकी मांगें नहीं मान रही है और न ही उनकी बातों पर ध्यान दिया जा रहा है. ऐसे में उनके सामने विरोध करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है. मामला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के गृह जिले का है जहां उनके बेटे चुनाव प्रचार पर निकले थे. उन्हें लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे का नाम यतिंद्र सिद्धारमैया है जो चामराजनगर में चुनावी कैंपेन पर निकले थे. यहां के किसानों और स्थानीय लोगों ने यतिंद्र को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो तीन गांवों के वोटर चुनाव का बहिष्कार करेंगे. रविवार को यतिंद्र चामराजनगर से कांग्रेस उम्मीदवार सुनील बोस का चुनाव प्रचार कर रहे थे. वे नंजंगगुड़ तालुका में लोगों से मिलते हुए सुनील बोस के लिए वोट मांग रहे थे. इसी दौरान लोगों ने उनका विरोध किया और अपनी मांगें सामने रखीं. यह घटना मल्लुपुरा ग्राम पंचायत की है.
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इसी गांव में बन्नारी अम्मन शुगर फैक्ट्री है जहां किसान अपनी कई मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले दो महीने से दिन-रात किसान धरना दे रहे हैं और सरकार से अपनी मांगें मनवाने की कोशिश कर रहे हैं. यतिंद्र सिद्धारमैया इन किसानों के पास गए और वोट मांगा. उन्होंने किसानों के सामने अपनी बात रखी और उन्हें समझाने-बुझाने की पूरी कोशिश की. इस पर किसान नाराज हो गए और उन्होंने यतिंद्र को सुनाना शुरू कर दिया. किसानों ने यतिंद्र से कहा, आप यहां केवल चुनाव के लिए आए हैं. अगर चुनाव नहीं होता तो वे किसानों के पास कभी नहीं आते.
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किसानों ने अपनी शिकायत में कहा कि शुगर फैक्ट्री उनकी एक भी बात नहीं सुन रही. उनकी एक भी मांग नहीं मानी जा रही. किसानों ने यतिंद्र से कहा कि वे उनकी बातों को अपने पिता और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया तक पहुंचा दें. अगर किसानों की मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वे चुनाव का बहिष्कार करेंगे और किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे. किसानों का यह विरोध प्रदर्शन कई दिनों से चल रहा है और वे दिन-रात इसमें शामिल हो रहे हैं. किसानों का कहना है कि अभी लोकसभा चुनाव में सभी नेता व्यस्त हैं, लेकिन सबसे अच्छा समय यही है जब वे अपनी मांगों को नेताओं के सामने रख सकते हैं.(अनघा की रिपोर्ट)
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