सफलता की यह कहानी मध्य प्रदेश के गुना जिले की है जहां के किसान लाखन सिंह ने बड़ा काम किया है. उन्होंने पथरीली जमीन में फसल उगाई है और बाकी किसानों के लिए भी प्रेरणास्रोत बने हैं. कहानी कुछ यूं है कि वे जिस जगह में रहते थे, उसके आसपास केवल पथरीली जमीन थी. जमीन पर कुछ नहीं था. उबड़-खाबड़ जमीन पर पहाड़ी टिले, झाड़ियां, कंकड़ और पत्थर थे. ऐसी जमीन में खेती की बात कौन कहे, पशुओं के चारागाह का काम भी मुश्किल था. लेकिन लाखन सिंह लोधा नाम के इस किसान ने हार नहीं मानी.
इस जमीन पर कोई सुविधा नहीं होने के बावजूद उन्होंने खेती करने की योजना बनाई. इसके लिए उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया. इस काम में उन्हें विभाग के अधिकारी आरएस केन का तकनीकी सहयोग मिला. उनके सहयोग से एक एकड़ में 150 से अधिक नींबू के पौधे लगाए. इन पौधों की निगरानी में लग गए और सीमित साधन होने के बावजूद उन्होंने अपना धैर्य बनाए रखा. आज उसी का परिणाम है कि पथरीली जमीन की नींबू की खेती सफलता के कदम चूम रही है. इस सफलता के चलते लाखन सिंह लोधा को इस साल 5 लाख रुपये का शुद्ध लाभ होने का अनुमान है.
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इसी के साथ लाखन सिंह सिर्फ़ मेहनत से नहीं, विज्ञान और तकनीक की सहायता से आगे बढ़ने की योजना बना चुके हैं. उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक केपीएस किरार के मार्गदर्शन में वे अपने खेत में ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे जल प्रबंधन बेहतर हो और उत्पादन में वृद्धि हो सके. लाखन सिंह के खेत में जब यह तकनीक लग जाएगी तो वे कम पैसे में अच्छी कमाई कर सकेंगे.
इतना ही नहीं, लाखन सिंह लोधा ने पास के स्रोत से पानी की स्थायी व्यवस्था भी कर ली है. अब वे अपने बाग में बीच के क्षेत्रों की सफाई करके अंतरवर्ती फसलें लगाने की योजना बना रहे हैं ताकि उपज और आय दोनों को बढ़ाया जा सके. लाखन सिंह की सफलता से पता चलता है कि बंजर जमीन पर भी संकल्प और विज्ञान से हरियाली लाई जा सकती है.
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इतना ही नहीं, मार्गदर्शन , तकनीक और मेहनत का संगम सफलता की कुंजी बन सकता है. किसान अगर ठान लें, तो वे न सिर्फ़ अपनी तकदीर बदल सकते हैं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए आदर्श भी बन सकते हैं. लाखन सिंह लोधा आज साबित कर चुके हैं कि खेती सिर्फ परंपरा नहीं, नवाचार और विजन का क्षेत्र है. वे एक ऐसे किसान बन चुके हैं जो स्वयं पर गर्व कर सकते हैं और हम सब भी.
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