
कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक कर पीता है. कुछ ऐसा ही हुआ है शामली के किशोरपुरा गांव के रहने वाले प्रभात कुमार के साथ. बात 2017 की है जब वे धान की फसल को रोग से बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव कर रहे थे. इस दौरान कुछ दवाई उनके शरीर पर गिर गई जिसके कारण उन्हें कई दिनों तक स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करना पड़ा. महीनों डॉक्टर से उपचार करने के बाद वे ठीक हो सके. फिर क्या था. प्रभात कुमार ने ठान लिया कि अब आगे से खेती में वह कीटनाशक का प्रयोग नहीं करेंगे और ऑर्गेनिक तरीके से अपनी फसल को उगाएंगे.
प्रभात कुमार फिलहाल ऑर्गेनिक तरीके से गन्ने की खेती कर रहे हैं. गन्ने से खुद ही फ्लेवर्ड गुड़ तैयार करके बागपत, बिजनौर, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, दिल्ली, यहां तक कि हरियाणा के करनाल, सोनीपत, पानीपत और राजस्थान के कई शहरों तक सप्लाई कर रहे हैं जिससे उन्हें काफी ज्यादा मुनाफा हो रहा है.
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उत्तर प्रदेश के शामली जनपद के किशोरपुरा गांव के रहने वाले प्रभात कुमार केवल हाई स्कूल तक पढ़े हैं, लेकिन वे आज ऑर्गेनिक खेती के जरिए बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं. किसानों के लिए वे रोल मॉडल बन गए हैं. प्रभात कुमार पिछले 1 साल से 10 बीघे खेत में मिर्च, गन्ना, धान, ज्वार की खेती कर रहे हैं. शुरुआत में उन्हें ऑर्गेनिक खेती करने से नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.
अब वे ऑर्गेनिक तरीके से गन्ने की खेती करके फ्लेवर्ड गुड़ तैयार कर रहे हैं. उनके खेतों से तैयार ऑर्गेनिक गुड़ की मांग आज पूरे देश में है. प्रभात कुमार ने बताया कि वे गुड़ की बिक्री ऑनलाइन भी करते हैं. यही नहीं, उन्होंने 6 लोगों को रोजगार भी दिया है. प्रभात कुमार दूसरे किसानों को ऑर्गेनिक खेती और गन्ने से गुड़ तैयार करने की ट्रेनिंग भी मुफ्त देते हैं.
किसान प्रभात कुमार ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती करने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया. इसके साथ ही किसी विभाग द्वारा आयोजित की जाने वाली गोष्ठियों में भी हिस्सा लेना शुरू किया. ऑर्गेनिक खेती के लिए जीवामृत और जैविक खाद को गाय के गोबर, गोमूत्र, गुड़ और दाल के आटे के साथ-साथ मिट्टी और पानी को एक साथ मिलकर तैयार किया. जीवामृत न केवल सस्ता बल्कि पौधों और मिट्टी के लिए फायदेमंद है. अब वह खुद ही जैविक तरीके से गन्ने की फसल को तैयार करते हैं जिसमें काजू, बादाम वाले ऑर्गेनिक गुड़ को दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा में भेजते हैं. हर सीजन में वह 35 क्विंटल से अधिक गुड़ की सप्लाई करते हैं. उन्होंने किसानों को बताया कि अपनी फसल की खुद प्रोसेसिंग करके बेचेंगे तो मुनाफा भी अधिक होगा.
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