कृषि ड्रोन के इस्तेमाल को मध्य प्रदेश में काफी बढ़ावा मिल रहा है, जिससे यहां के किसानों को आधुनिक तकनीक से खाद के छिड़काव में मदद मिल रही है. हालांकि, अभी शुरुआत है तो इसमें कई प्रकार की चुनौतियां भी हैं. लेकिन इन चुनौतियों से निपटने के लिए राज्य की ड्रोन दीदियां तैयार हैं, जो मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आती हैं और किसानों को कृषि ड्रोन से होने वाले फायदों के बारे में बताती हैं. ऐसी ही एक ड्रोन दीदी हैं सविता विश्वकर्मा जो मध्य प्रदेश के रीवा जिले की रहने वाली हैं. सविता अपने गांव के किसानों को ड्रोन की सेवाएं दे रही हैं. ऐसा करके वो हर महीने 15,000 रुपये कमा रही हैं.
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर सविता आत्मनिर्भर बन गई हैं और अब "ड्रोन दीदी" के नाम से पहचानी जा रही हैं. दरअसल, प्रधानमंत्री नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत सविता विश्वकर्मा का चयन ड्रोन पायलट के लिए हुआ. फिर उन्होंने इंदौर से प्रशिक्षण पाकर जिले की पहली ड्रोन पायलट बनकर अपने गांव के आसपास खेतों में खाद और दवाई का छिड़काव शुरू किया. इससे वे अपनी आजीविका को बेहतर ढंग से चला रही हैं.
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ड्रोन दीदी सविता ने बताया कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. किसी तरह अपने पति और चार बच्चों का जीवन यापन चलाती थीं. इसके बाद उन्होंने ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर सात हजार रुपये का लोन लिया और सिलाई मशीन खरीदी. मशीन से सिलाई कर अपने परिवार का भरण पोषण करने लगीं. इसी क्रम में बैंक से लोन लेकर अपने पति को मोटर मैकेनिक की ट्रेनिंग दिलवाई. इससे धीरे-धीरे परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा.
अब सविता ड्रोन से खाद और दवाई का छिड़काव करके प्रतिमाह 15 हजार रुपये कमा लेती हैं और अपनी आजीविका को बेहतर ढंग से चला रही हैं. लोग सविता को ड्रोन दीदी के नाम से जानने लगे हैं. वहीं, सविता ने इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की वजह से ही उनकी जिंदगी में बदलाव आया है. इस बदलाव से अब उनके घर का खर्च अच्छे से चल रहा है जिससे वो काफी खुश हैं.
इस योजना के तहत सरकार की तरफ से ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग फ्री में दी जाती है. साथ ही ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी और लोन की सुविधा भी सरकार मुहैया करवाती है. साथ ही ड्रोन की खरीद पर महिला स्वयं सहायता समूहों को सब्सिडी मिलती है. ड्रोन की कीमत का 80 फीसदी या अधिकतम 8 लाख रुपये की सब्सिडी सरकार देती है. ड्रोन की बाकी लागत के लिए AIF से लोन सुविधा भी उपलब्ध है. वहीं, कर्ज 3 फीसदी की मामूली ब्याज दर से चुकाना होता है. ड्रोन की मदद से महिला स्वयं सहायता समूह प्रति वर्ष 1 लाख रुपये अतिरिक्त कमा सकता है.
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