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दूध के नहीं म‍िल रहे थे दाम... अब म‍िठाई की दुकान खोल कर मोटा मुनाफा कमा रहा क‍िसान

दूध के नहीं म‍िल रहे थे दाम... अब म‍िठाई की दुकान खोल कर मोटा मुनाफा कमा रहा क‍िसान

हरियाणा में झज्जर जिले की तहसील बहादुरगढ़ के गांव खरमाना में युवा किसान दीपक सांगवान गाय के दूध से घी और मिठाई बना रहे हैं. इन्हें बेचने के ल‍िए उन्होंने एक म‍िठाई की दुकान खोली है, जि‍सका नाम उन्होंने गौशाला स्वीट्स रखा है.

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गौशाला स्वीट्स की फोटो गौशाला स्वीट्स की फोटो

गौशाला स्वीट्स... चौंक‍िए मत, ये क‍िसी म‍िठाई की दुकान का ही नाम है. हरियाणा में झज्जर जिले की तहसील बहादुरगढ़ के गांव खरमाना के रहने वाले युवा किसान दीपक सांगवान ने इस नाम से म‍िठाई की दुकान शुरू की है, जो आज उनकी सफलता की कहानी बयां कर रही है.दीपक की इस म‍िठाई की दुकान का नाम ही लाजवाब नहीं है बल्क‍ि उनकी सफलता की ये कहानी भी उतनी ही शानदार है, ज‍िसमें उन्होंने असफलता से गौशाला स्वीट्स के माल‍िक बनने तक का सफर तय क‍िया है. कहानी ये है क‍ि कभी उन्हें दूध बेचकर उसके दाम सही नहीं म‍िलते थे. उनकी इस असफलता ने गौशाला स्वीट्स को ज‍न्म द‍िया और आज उसकी दूध की वह म‍िठाई बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. 

गौशाला स्वीट्स ही नहीं देशी गायों का फार्म भी चला रहे दीपक 

बहादुरगढ़ के गांव खरमाना के रहने वाले युवा किसान दीपक सांगवान गाय के दूध से घी और मिठाई बना रहे हैं, ज‍िन्हें वे अपनी म‍िठाई की दुकान गौशाला स्वीट्स से बेचते हैं. क‍िसान तक से हुई बातचीत में दीपक ने बताया कि उनकी दुकान में बनने वाले मिठाइयों के लिए दूध और घी उनके ही डेयरी फार्म से आता है. इस दुकान के साथ वो देसी गायों के फार्म का भी संचालन कर रहे हैं. इस फार्म पर देसी गायों की नस्ल सुधार, संवर्धन और संरक्षण पर काम होता है. इस फार्म में मौजूद गायों से मिलने वाले दूध को बाजार में न बेचकर वह इसका प्रयोग मिठाइयों को बनाने में करते हैं.

गौशाला स्वीट्स से यूंं मुनाफा कमा रहे हैं दीपक 

दीपक बताते हैं कि देसी गाय के दूध और घी से बनने वाली मिठाइयों का स्वाद लोगों को खूब पसंद आ रहा है. उनकी इस दुकान पर मिठाइयां 320 रुपये से लेकर 1000 रुपये की बिकती हैं. गाय के दूध से बनने वाली वाली छेने मिठाई का स्वाद भी काफी अच्छा आता है. दूध बेचने के मुकाबले गौशाला स्वीट्स मिठाइयों की बिक्री से दीपक को 2 से तीन गुना ज्यादा मुनाफा होने लगा है.

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दूध बेचने में क्या आ रही थी परेशान‍ियां   

दीपक ने बताया कि दिल्ली शहर से उनके गांव की दूरी होने के कारण रोजाना शहर जाकर दूध बेचना कठिनाइयों से भरा रहा है और एक समय था, जब उन्हें देसी गाय के दूध का सही रेट भी नहीं मिलता था. दीपक बताते हैं क‍ि जब उनकी गायों का दूध शहर में जाता था तो उन्हें उसके सही दाम नहीं मिलते थे और कभी कभी तो लोग दूध में कम मलाई आना व दूध का पतला होने की शिकायत करते थे. फिर काफी परेशान होकर उन्होंने इस दुकान को खोलने का मन बनाया, जिसके बाद अब वह क्षेत्र में एक मिसाल बनकर उभर रहे हैं. 
दीपक ने कहा कि जिन गौपालकों को ऐसी समस्या आती है तो वो भी दूध से बनने वाले अन्य उत्पादों पर काम कर सकते हैं, जैसे कि देसी गाय के दूध से बनने वाला घी, पनीर, खोया, मिठाई आदि. उन्हाेंने कहा क‍ि अन्य किसान भी डिजिटल मीडिया का भी प्रयोग कर अपने ग्राहक से सीधा जुड़ सकते हैं. इससे उनकी आय भी बढ़ेगी और लोगों को शुद्ध गाय के दूध से बना उत्पाद भी मिलेंगे.

देखिए गौशाला स्वीट्स पर किसान तक संवाददाता अंकित शर्मा और विनय सांगवान के बीच ये खास बातचीत