उत्तराखंड में आने वाले समय में बड़े स्तर पर फूलों की खेती होगी. देश-दुनिया में जिस तरह से खुशबू का कारोबार बढ़ रहा है, परफ्यूम की मांग बढ़ रही है, उसे देखते हुए उत्तराखंड भी इसमें बड़ी भागीदारी निभाएगा. उत्तराखंड में पारंपरिक खेती की तुलना में फूलों की खेती को बढ़ावा दिए जाने की तैयारी है. यहां की सरकार फूलों की खेती को पारंपरिक खेती का सबसे अच्छा विकल्प देख रही है. सरकार का ध्यान इस ओर भी ज्यादा है कि अधिक से अधिक लोग खेती-बाड़ी में लगें और उससे अपनी आय बढ़ाएं. इस हिसाब से फूलों की खेती बेहतर विकल्प साबित हो सकती है.
फूलों की खेती की एक बड़ी खासियत है. मौसम जैसा भी हो, जलवायु कितनी भी विपरीत हो, फूलों की खेती पर कोई असर नहीं होता. फूलों के पौधे हर तरह के मौसम में अपना अस्तित्व बचाए रखते हैं. यही वजह है कि फूलों की खेती को सबसे अच्छा कैश क्रॉप यानी कि नकदी फसल का दर्जा दिया गया है.
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आज दुनिया में खुशबू का कारोबार अरबों रुपये का है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि फूलों की खेती में वे सभी संभावनाएं हैं जो किसानों को दोबारा खेती की तरफ खींच सकती है. उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन के चलते लोग खेती छोड़ रहे हैं और बाकी शहरों में जाकर नौकरी को प्राथमिकता दे रहे हैं. उत्तराखंड सरकार चाहती है कि फूलों की खेती का फायदा किसानों को दिलाकर इस क्षेत्र में उनका रुझान बढ़ाया जाए.
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मुख्यमंत्री धामी ने अभी हाल में सेलाकुई में एरोमेटिक प्लांट्स डेवलपमेंट सेंटर का उद्घाटन किया जिसकी मदद से प्रदेश में फूलों की खेती और परफ्यूम के कारोबार को विकसित किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि उत्तराखंड में बंदरों ने खेती को किस स्तर तक नुकसान पहुंचाया है. मौसमी मार और जमीनी हालत बिगड़ने से भी उत्तराखंड के लोगों को खेती से बाहर कर दिया है. सरकार अब लोगों को खेती में वापसी का पूरा प्लान तैयार कर रही है. इसके लिए नकदी फसलों पर जोर दिया जा रहा है जिनमें फूलों की खेती भी शामिल है.
मुख्यमंत्री धामी कहते हैं, एरोमेटिक फसलें किसानों को वापस खेती में ला सकती हैं क्योंकि पूरी दुनिया में इसका बाजार तेजी से बढ़ रहा है. इसी तैयारी में उत्तराखंड में सात अरोमा वैली खोली जाएगी जिसमें हरिद्वार में लेमनग्रास और मिंट वैली, नैनीताल और चंपावत में सिनामोन वैली, चमोली और अल्मोड़ा में दमस्क रोज वैली, उधम सिंह नगर में मिंट वैली, पिथौरागढ़ में तैमूर वैली और पौढ़ी जिले में लेमनग्रास वैली शामिल हैं. इसके लिए उच्च तकनीक वाली नर्सरी बनाई जाएगी जिसमें दालचीनी, तैमूर, सुराई और दमस्क गुलाब के पौधे उगाने से बंजर भूमि को सुगंधित फसलों और पौधों के खेतों और बागों में विकसित करना आसान हो जाएगा.(PTI)
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