केंद्र और राज्य सरकारें ग्रामीण आबादी को बेरोजगारी के दुश्चक्र से बाहर लाकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए तमाम योजनाएं चला रही हैं. केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत ग्रामीण आबादी को आत्मनिर्भर बनाने वाली योजनाओं में महिलाओं की अहम भागीदारी सुनिश्चित हो रही है. इसके समानांतर राज्य सरकारें भी Poverty Eradication Schemes के तहत स्वरोजगार के साधन मुहैया करा रही हैं. इनमें यूपी सरकार की One District One Product (ओडीओपी) के तहत राज्य में हस्तशिल्प से लेकर खानपान की तमाम विशिष्ट वस्तुओं के उत्पादों को संबद्ध जिले की पहचान के रूप में विश्व बाजार तक पहुंचाया जा रहा है. इस योजना के तहत हर जिले के किसी एक खास उत्पाद को इस योजना में शामिल कर उसके उत्पादन में स्थानीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करते हुए उनके हुनर से दुनिया को रूबरू कराया जा रहा है. इस योजना का लाभ उठा कर आत्मनिर्भर बनने वालों में 59 फीसदी महिलाएं शामिल हैं.
सरकारी योजनाओं के कारण लक्षित वर्ग को मिल रहे लाभ का अध्ययन करने वाली एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी में महिलाएं आत्मनिर्भर बनने में मदद करने वाली ODOP जैसी योजनाओं का लाभ उठाने में सबसे आगे हैं. सामाजिक सरोकारों से जुड़े राष्ट्रीय संगठन उदैति फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी की 57 फीसदी महिलाएं कामकाजी हो चुकी हैं. इनमें से 86 फीसदी महिलाएं Self Employment से जुड़ी हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार यूपी में महिलाओं की भागीदारी Health and Manufacturing सहित अन्य क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही है. मजे की बात यह है कि कृषि क्षेत्र में यूपी की महिलाओं की भागीदारी पिछले कुछ सालों में बढ़ कर 78.5 फीसदी हो गई है.
इसके अलावा, Manufacturing Sector में यूपी की महिलाओं की भागीदारी 5 प्रतिशत हो गई है. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने डेयरी, स्वास्थ्य, पर्यटन, और वस्त्र उद्योग में कामगार के तौर पर महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के उपाय तेज कर दिए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी के मामले में भी यूपी आगे है. राज्य की 78.5 प्रतिशत महिलाएं कृषि क्षेत्र के उद्योगों से जुड़ी हैं. इस मामले में राज्य के पुरुषों की भागीदारी 43 फीसदी है. हालांकि बैंक, बीमा और शिक्षा क्षेत्र में राज्य की महज 8 फीसदी महिलाएं ही नियोजित हैं. जबकि इन क्षेत्रों में यूपी के पुरुषों की भागीदारी 28 प्रतिशत है.
योजनाओं के आधार पर यदि यूपी में महिलाओं की भागीदारी को देखा जाए तो पीएम स्वनिधि योजना में राज्य के कुल 9 लाख लाभार्थी हैं. इनमें एक तिहाई यानी 3 लाख महिलाएं हैं.
इसी प्रकार ओडीओपी योजना के कुल 20 हजार लाभार्थी में 12 हजार (78 प्रतिशत) महिलाएं हैं. इसके अलावा स्टार्ट अप ग्राम उद्यमी योजना में पंजीकृत कुल 53 हजार लाभार्थी में 4795 महिलाएं हैं.
वहीं, State Startup Policy में पंजीकृत 9451 स्टार्टअप में से 44494 स्टार्टअप महिलाओं के हैं. इतना ही नहीं, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के कुल 75 हजार लाभार्थी में 47 हजार से ज्यादा महिलाएं हैं. स्पष्ट है कि ये सभी योजनाएं ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को बैंकिंग सखी से लेकर ड्रोन दीदी बनाने तक, तमाम योजनाएं महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने पर केंद्रित हैं. यूपी की महिलाएं इन योजनाओं में बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी कर रही हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार यूपी में Low Income Group से बाहर आने में महिलाओं का रिपोर्ट कार्ड उत्साहजनक है. राज्य की 46 फीसदी महिलाओं के पास अपना मोबाइल फोन होना इस बात का प्रमाण माना जा सकता है.
इसके बरक्स महिलाओं के उद्यमी बनने की राह में बैंकों का सकारात्मक रवैया न होना, अभी भी बड़ी बाधा है. रिपोर्ट के अनुसार ओडीओपी योजना में बतौर लाभार्थी, 59 फीसदी महिलाओं को Tool Kit मिली है, लेकिन इस योजना में उद्यमी बनने के लिए बैंक द्वारा दिए जाने वाले Margin Money का लाभ महज 24 फीसदी महिलाओं को ही मिल पाया है.
रिपोर्ट में इन तथ्याें से जुड़े विश्लेषण में पता चला है कि बैंक अभी भी महिलाओं को ऋण देने में हिचकते हैं, इसलिए महिलाएं इस योजना में उद्यमी बनने में पिछड़ रही हैं. इसी प्रकार पीएम स्वनिधि योजना में भी महिलाओं की संख्या 25 फीसदी है, लेकिन इसमें भी महिलाओं को लोन देने के बारे में बैंकों का पूर्वाग्रह पूर्ण रवैया बाधक बन रहा है.
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