पीएम किसान योजना पर मंत्री ने दी जरूरी जानकारीकेंद्र सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना को फरवरी 2019 में किसानों की वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए लॉन्च किया था. यह एक को केंद्रीय क्षेत्र की स्कीम है, जिसके तहत हर कृषि भूमि धारक किसान को सालाना 6,000 रुपये डीबीटी के जरिए तीन किस्तों में मिलते हैं. इस योजना की खास बात यह है कि पैसा सीधे आधार-लिंक्ड बैंक अकाउंट में भेजा जाता है, जिससे किसी भी तरह के बिचौलियों की भूमिका खत्म होती है. अब इस योजना से जुड़ी कुछ खास जानकारियां सामने आई हैं. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने सदन में योजना से जुड़े सवालों के जवाब दिए जिनमें ये जानकारियां खास रही. जानिए योजना में कैसे सुधार होता चला गया…
केंद्रीय राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर के अनुसार, सरकार योजना के लॉन्च से लेकर अब तक 21 किस्तों में 4.09 लाख करोड़ रुपये सीधे किसानों को ट्रांसफर कर चुकी है. यह भारत के किसी भी DBT कार्यक्रम के मुकाबले सबसे बड़ा डायरेक्ट ट्रांसफर है. लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन की डिजिटल प्रक्रिया ने पूरे सिस्टम को पारदर्शी बनाया है.
योजना की शुरुआत में भुगतान खाता-आधारित माध्यम से होता था. लेकिन, राज्यों द्वारा पोर्टल पर अपलोड किए गए डेटा में कई त्रुटियां थीं, जिनसे लाखों लेनदेन फेल हो जाते थे. इन प्रमुख कारणों से फेल होते थे ट्रांजेक्शन
इन गलतियों की वजह से किसानों की किस्त बार-बार अटक जाती थी. बाद में इन समस्याओं को दूर करने के लिए बड़े बदलाव किए गए.
13वीं किस्त से सरकार ने आधार पेमेंट ब्रिज (APB) मोड अनिवार्य कर दिया. यह बदलाव गेमचेंजर साबित हुआ, क्योंकि अब भुगतान केवल आधार-मैपर के जरिए होता है, न कि बैंक अकाउंट विवरण के आधार पर. इसके साथ ही PFMS, NPCI और बैंकों ने मिलकर विशेष अभियान चलाए, जिनमें गलत डेटा को सुधारा गया.
APB लागू होने जैसे बदलाव के बाद ट्रांजेक्शन फेल होने के आंकड़ों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. सरकार के अनुसार, नवीनतम 21वीं किस्त में सफलता दर 99.86% दर्ज की गई है. अब केवल कुछ कारणों से ही ट्रांजेक्शन फेल हो पाते हैं, जैसे:
राज्यों पर लाभार्थी डेटा को सही-सही पोर्टल पर अपलोड करने की जिम्मेदारी थी. बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बड़ी संख्या में गलत अकाउंट एंट्री, अधूरी जानकारी और डुप्लीकेट खातों जैसे मामले सामने आए. इसी वजह से इन राज्यों में फेल ट्रांजेक्शन का प्रतिशत ज्यादा रहा. इसलिए सरकार ने इन राज्यों को सुधारात्मक कदम तेजी से करने को कहा.
योजना का उद्देश्य खेती की लागत को सीधे कम करना नहीं, बल्कि किसानों को लिविंग सपोर्ट देना है. 4.09 लाख करोड़ रुपये की नकद सहायता ने छोटे किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक जैसी तात्कालिक जरूरतें पूरी करने में सुविधा दी है. डिजिटल भुगतान मॉडल ने यह भी साबित किया है कि देश भर में किसान वित्तीय प्रणाली में तेजी से शामिल हो रहे हैं.
डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की वजह से PM-Kisan देश की पहली ऐसी स्कीम बन गई है, जहां किसान को पैसा बिना किसी मध्यस्थ के मिल रहा है. ना तो आवेदन शुल्क, ना दलालों का रोल और ना ऑफलाइन कागजी कार्रवाई. APB आधारित भुगतान प्रणाली ने सरकारी सहायता को पारदर्शी, तेज और लगभग त्रुटिरहित बनाया है.
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