स्वामित्व योजना का मकसद ग्रामीण इलाकों में हर परिवार को संपत्ति की डिजिटल घरौनी प्रदान करना है. इस बहुउद्देशीय परियोजना को अमल में लाने के फलस्वरूप ग्रामीण इलाकों में Property Disputes का त्वरित निस्तारण किया जा सकेगा. इससे अदालतों में संपत्ति संबंधी मामलों का बोझ भी कम होगा, साथ ही पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले ऐसे मुकदमों से गांव वालों को निजात भी मिल सकेगा. यूपी में राजस्व एवं संपत्ति संबंधी विवादों की अधिकता के कारण योगी सरकार ने स्वामित्व योजना के तहत गांवों में सभी प्रकार की संपत्तियों का ड्रोन सर्वे कराने का काम तेजी से पूरा कराने का फैसला किया है. राज्य के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र इस काम की नियमित समीक्षा करते हैं.
यूपी में स्वामित्व योजना को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार के राजस्व विभाग को सौंपी गई है. मुख्य सचिव द्वारा इस परियोजना की प्रगति को लेकर राजस्व विभाग के काम की समीक्षा की गई. इसमें विभाग की ओर से बताया गया कि प्रदेश के सभी 90,866 गांवों का ड्रोन से सर्वे कराने का काम पूरा हो चुका है.
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ड्रोन सर्वे के माध्यम से हर गांव में मौजूद प्रत्येक संपत्ति को डिजिटल मैप पर दर्ज किया जाता है. इस मैप का स्थलीय परीक्षण कर इसमें दर्ज संपत्तियों का सत्यापन किया जाता है. इसके आधार पर डिजिटल घरौनी बनाई जाती है.
विभाग की ओर से बताया गया कि प्रदेश में स्वामित्व योजना के तहत अब तक कुल 72 लाख 53 हजार 4 घरौनियां बन कर तैयार हो चुकी है. इतना ही नहीं, इस साल 24 अप्रैल तक 55 लाख 14 हजार 969 घरौनियों का उनके संपत्ति मालिक को वितरित भी की जा चुकी हैं. जल्द ही 17 लाख 38 हजार 35 घरौनियां भी वितरित कर दी जाएंगी.
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विभाग की ओर से बताया गया डिजिटल घरौनी बनने के बाद वरासत संबंधी विवाद से जुड़े मामलों के निस्तारण में तेजी आई है. इसके फलस्वरूप इस साल 31 जुलाई तक वरासत संपत्ति के विभाजन से जुड़े शत-प्रतिशत निर्विवादित मामलों का निस्तारण किया जा चुका है. बैठक में कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी और राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर गर्ग के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
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