यूपी में योगी सरकार ने Cattle Dung यानी पशु धन के गोबर एवं फसलों के कचरे यानी Crops Residue को गोबर-धन में बदलने की योजना शुरू की है. इसके तहत गोबर एवं फसलों के कचरे को बायोगैस और स्लरी में बदलकर ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है. इस महत्वाकांक्षी योजना को जमीन पर उतारने का काम शुरू हो गया है. सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक यूपी के 20 जिलों में इस परियोजना का काम लगभग पूरा कर लिया गया है. साथ ही 38 अन्य जिलों में गोबर और फसलों के कचरे से Biogas एवं Slurry से प्राकृतिक खाद बनाने के संयंत्र लगाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं, गांव और खेतों को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए यूपी के 35 जिलों में Plastic Waste Management Units भी बन रही हैं. इस परियोजना का मकसद स्वच्छता और स्वावलंबन को ध्यान में रखकर गांवों का कायाकल्प करना है. इसके पहले चरण में सभी गांवों को खुले में शौच की समस्या से मुक्ति दिलाने यानी ओडीएफ बनाने के बाद ओडीएफ प्लस श्रेणी में गांवों को लाया गया है. इसके अगले चरण में गोबर-धन और अपशिष्ट प्रबंधन के जरिए गांवों को स्वच्छ बनाने के साथ कचरा प्रबंधन से किसानों की आय बढ़ाई जाएगी.
योगी सरकार ने यूपी के सभी गांवों में गोबर और फसलों के कचरे को बायोगैस एवं स्लरी में बदल कर ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने के लिए गोबर-धन योजना शुरू की है. इसमें स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत हर जिले को 50 लाख रुपये की धनराशि आवंटित करने की व्यवस्था है.
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इसके अलावा, बायोगैस प्लांट से बनने वाली ऊर्जा से आटा चक्की भी चलाई जा सकेगी. इससे कम से कम एक परिवार को आय का साधन और ग्रामीणों को सस्ती दर पर आटा पिसवाने की सुविधा मिलेगी. इतना ही नहीं कुछ चिह्नित परिवारों को बायोगैस से रसोई का ईंधन भी दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक यूपी के 20 जिलों में गोबर-धन योजना के तहत बायोगैस प्लांट बन चुके हैं. इसके अलावा 38 जिलों में 60 बायोगैस प्लांट निर्माणाधीन हैं. जिन 17 जिलों में 22 बायोगैस प्लांट का काम अभी शुरू नहीं हुआ है, उनमें भी इस काम को शुरू करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.
इसके तहत स्वच्छ भारत मिशन के एक महत्वपूर्ण घटक के तौर पर यूपी के सभी गांवों में मल जनित कचरे के निस्तारण को सुनिश्चित किया जा रहा है. इसके लिए यूपी के कुल 763 नगर निकायों में स्थापित या प्रस्तावित मल शोधन संयंत्र यानी एफएसटीपी से 20 से 25 किमी के दायरे में आने वाले गांवों को जोड़ा जाएगा. इस कवायद में जाे गांव बच जाएंगे उनमें पंचायती राज विभाग द्वारा एफएसटीपी बनाए जाएंगे.
इसके साथ ही गांवों में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए 35 जिलों में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन यानी पीडब्ल्यूएम इकाई का निर्माण कराया जा रहा है. शहरों में बन रही इन इकाइयों से 15 से 20 किमी के दायरे में आने वाले गांवों को संबद्ध किया जाएगा. बचे हुए गांवों में पीडब्ल्यूएम इकाई का निर्माण पंचायती राज विभाग से कराने के निर्देश दिए गए हैं.
स्वच्छता के मामले में गांवों को प्रतिस्पर्धी बनाने के उपायों के तहत बेहतर काम करने वाले गांवों को सम्मानित किया जाएगा. इस दिशा में ओडीएफ प्लस के मानकों को कसौटी मानते हुए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 'स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण 2023' का आयोजन किया जा रहा है.
इसके मद्देनजर प्रदेश के सभी जिलों में जिलाधिकारी के नेतृत्व में प्रत्येक ब्लॉक की सभी ग्राम पंचायतों को जनसंख्या के आधार पर 3 श्रेणियों में बांटा जाएगा. इसमें 2000 तक की आबादी वाली, 2001 से 5000 तक एवं 5000 से ज्यादा आबादी वाली 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों का चयन किया जाएगा.
इसी तरह, प्रत्येक विकास खंड से चयनित 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों में से जिला स्तर 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों का भी चयन किया जाएगा. इस प्रकार सभी जिलों से चयनित ग्राम पंचायतों को केंद्र सरकार द्वारा थर्ड पार्टी सत्यापन कराकर उत्कृष्ट पंचायत चयनित करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है.
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यूपी में स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण 2023 में ब्लॉक स्तर पर सहभागी सत्यापन को पूरा करने की समय सीमा 01 मई से 15 जून के बीच तय की गई है. वहीं, जिला स्तर पर यह समय सीमा 16 जून से 30 जून, राज्य स्तर पर 01 जुलाई से 15 जुलाई तक तय की गई है जिला स्तर पर उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को चिह्नित कर 31 जुलाई तक पुरस्कृत किए जाने का लक्ष्य है. इसी प्रकार राज्य स्तर पर उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को चिह्नित कर 15 अगस्त तक पुरस्कृत किया जाना है.
राज्य द्वारा नामित उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय स्तर पर थर्ड पार्टी से सत्यापित कराने की समयसीमा 16 जुलाई से 15 अगस्त के मध्य निर्धारित है. इसी प्रकार, सभी आवेदनों की समीक्षा के बाद चयनित ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय स्तर पर 2 अक्टूबर को सम्मानित किया जाएगा. योगी सरकार यूपी के गांवों को इन मानकों पर खरा उतार कर राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित कराने के लक्ष्य के साथ गोबर-धन योजना को आगे बढ़ा रही है.
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