पूर्व सैनिक जतिंदर सिंह ने रियासी जिले के डेरा गांव में केंद्र सरकार की एक योजना के तहत स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर रुख किया है. केंद्र सरकार की इस योजना का उद्देश्य 'हाई वैल्यू' बागवानी को बढ़ावा देना और किसानों की आय को दोगुना करना है. सेना से रिटायर हो चुके सिंह के इस उद्यम ने न सिर्फ उन्हें वित्तीय स्थिरता दी है, बल्कि साथी ग्रामीणों को भी इसी तरह के रास्ते तलाशने के लिए प्रेरित किया है.
बागवानी विभाग से सीखी खेती
रिटायर्ड सैनिक जतिंदर सिंह बागवानी विभाग में शामिल हुए और उन्हें स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सलाह दी गई. सरकार ने उन्हें ऐसा करने के लिए मदद भी दी. सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई से एक खास बातचीत में कहा, "मैं सेना से रिटायरमेंट लिए हुए 4 साल हो गए हैं. फिर मैं बागवानी विभाग में शामिल हो गया. उन्होंने मुझे स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सलाह दी." बाद में सरकार ने भी सब्सिडी के जरिए मदद दी है."
स्ट्रॉबेरी की खेती का सेंटर बन रहा उधमपुर
ध्यान देने वाली बात है कि जम्मू-कश्मीर का उधमपुर जिला स्ट्रॉबेरी उत्पादन के केंद्र के रूप में उभरा है. यहां बड़ी संख्या में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती को अपना रहे हैं और उन्हें इसमें हैरान करने वाली सफलता मिल रही है. सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए जिले के किसानों ने स्ट्रॉबेरी के खेत लगाए हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है. खासकर इस सीजन में स्ट्रॉबेरी के दामों में उछाल आया है.
इस बार 50 रुपये प्रति 250 ग्राम के मौजूदा बाजार मूल्य ने किसानों में उत्साह की लहर पैदा कर दी है. उधमपुर जिले की मजालता तहसील के थलोरा गांव के किसान और उद्यमी विनोद शर्मा भी उन किसानों में से एक हैं. साल 2021 में सीमित पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने के बाद शर्मा ने अब इसे नौ कनाल जमीन पर उगाया है. यहां इसकी शानदार फसल से उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है. उन्होंने पारंपरिक फसलों की खेती छोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती की और इससे उनकी आजीविका में बदलाव आया है.
सरकारी सब्सिडी से कैसे मिली मदद?
शर्मा को सरकारी सब्सिडी से प्रति कनाल 13,000 रुपये मिलते हैं. यानी उनके नौ कनाल खेत के लिए उन्हें कुल 1,17,000 रुपये की सरकारी मदद मिलती है. इसके अलावा उन्हें पैकिंग हाउस, बोरवेल और सेफ्टी नेट सहित महत्वपूर्ण इनफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी मदद मिली है. इससे पिछले सीज़न में उनका खेती का बिजनेस लाभदायक बन गया और इस बार भी उन्हें अच्छे रिटर्न की उम्मीद है.
शर्मा बताते हैं, "पहले मैं नियमित फसलों पर निर्भर था लेकिन स्ट्रॉबेरी की खेती ने मेरी पूरी ज़िंदगी बदल दी. इस बार मैंने नौ कनाल स्ट्रॉबेरी लगाई है. मैं पिछले पांच सालों से स्ट्रॉबेरी उगा रहा हूं. मैंने 2-2.5 कनाल से शुरुआत की थी. मैं अच्छी कमाई कर लेता हूं. (बागवानी) विभाग से बहुत सारे लाभ हैं."
उन्होंने सरकार से मिलने वाले लाभों के बारे में कहा, "मुझे प्रति कनाल 13,000 रुपये की सब्सिडी मिलती है. विभाग ने मुझे एक बोरवेल भी दिया है. मुझे पक्षियों को दूर रखने के लिए सब्सिडी पर जाल भी दिया गया है. केंद्र सरकार के माध्यम से पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कई योजनाएं लाई गई हैं. सरकार की कई योजनाएं हैं जिनमें 95 प्रतिशत तक की सब्सिडी है."
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