PM-PRANAM: क्या है पीएम-प्रणाम योजना, क‍िसानों को क्या होगा फायदा? 

PM-PRANAM: क्या है पीएम-प्रणाम योजना, क‍िसानों को क्या होगा फायदा? 

धरती की सेहत सुधारने के ल‍िए खेती में वैकल्प‍िक और प्राकृतिक उर्वरकों के इस्तेमाल को द‍िया जाएगा बढ़ावा. रासायनिक उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल पर द‍िया जाएगा जोर. यूर‍िया के अंधाधुंध इस्तेमाल से क‍िन पोषक तत्वों की हो गई है कमी, क्या हो रहा है नुकसान. 

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PM-PRANAM: क्या है पीएम-प्रणाम योजना, क‍िसानों को क्या होगा फायदा? वैकल्प‍िक खादों के इस्तेमाल को बढ़ावा देगी सरकार (Photo-Kisan Tak).

रासायन‍िक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से धरती की सेहत खराब हो रही है. जमीन में सल्फर, ज‍िंक और बोरोन जैसे कई पोषक तत्वों की कमी हो गई है. ऐसे में केंद्र सरकार ने पीएम प्रणाम (PM-PRANAM) नाम की योजना शुरू की है. ज‍िसका मतलब प्रमोशन ऑफ अल्टरनेटिव न्यूट्रिएंट्स फॉर एग्रीकल्चर मैनेजमेंट योजना (Promotion of Alternate Nutrients for Agriculture Management Yojana) है. यानी इसके जर‍िए खेती में वैकल्प‍िक और प्राकृतिक उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा द‍िया जाएगा. एक तरह से हरित खेती की मुह‍िम चलेगी. साथ ही रासायनिक उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को भी प्रमोट क‍िया जाएगा. इस योजना का मकसद राज्यों में केमिकल फर्टिलाइजर के उपयोग को कम करना है. 

इस योजना के तहत प्राकृतिक, ऑर्गेनिक खेती, वैकल्पिक फर्टिलाइजर, नैनो फर्टिलाइजर और जैव फर्टिलाइजर को खेती में प्रमोट क‍िया जाएगा. ताक‍ि धरती की सेहत भी ठीक रहे. बजट में यह घोषणा की गई थी कि वैकल्पिक फर्टिलाइजर और रासायनिक फर्टिलाइजर के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए योजना शुरू की जाएगी. इसके तहत फसल अवशेषों से भी ऑर्गेन‍िक खाद बनाई जाएगी. ज‍िससे पराली जलाने की समस्या का समाधान होगा. इस तरह पर्यावरण शुद्ध रहेगा और किसानों के लिए आय का एक अच्छा जर‍िया होगा. 

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क‍ितनी रकम कहां खर्च होगी

योजना के तहत राज्यों को दी जाने वाली कुल ग्रांट में से 70 फीसदी का इस्तेमाल गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर वैकल्पिक खादों और वैकल्पिक उर्वरक उत्पादन इकाइयों की तकनीक अपनाने के लिए किया जाएगा. शेष 30 फीसदी का इस्तेमाल किसानों, पंचायतों, किसान-उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए होगा. ये लोग रासायन‍िक खादों के उपयोग में कमी की जागरूकता पैदा करने के काम में शाम‍िल होंगे. 

जमीन में पोषक तत्वों की क‍ितनी कमी

भारतीय कृष‍ि अनुसंधान संस्थान में एग्रोनॉमी ड‍िवीजन के प्र‍िंस‍िपल साइंट‍िस्ट डॉ. वाईएस श‍िवे का कहना है क‍ि इस समय भारत की 42 फीसदी जमीन में सल्फर की कमी है. इसी तरह 39 फीसदी जमीन में ज‍िंक की कमी है, जबक‍ि 23 फीसदी बोरॉन की कमी है. कई व‍िशेषज्ञ अन्य उर्वरकों की तुलना में यूरिया की अत्यधिक कम कीमत को इसकी वजह बताते हैं. क‍िसान हर काम के ल‍िए यूर‍िया का ही इस्तेमाल करता जाता है. इससे कई महत्वपूर्ण सूक्ष्म और पोषक तत्व कम हो गए हैं. क‍िसानों ने ज्यादातर नाइट्रोजन और फास्फोरस का ही इस्तेमाल क‍िया है. इससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ रहा है, क्योंक‍ि जमीन की उर्वरा शक्त‍ि खत्म होने लगी है.

सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से क्या नुकसान

साउथ एश‍िया ज‍िंक न्यूट्रिएंट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. सौम‍ित्र दास कहते हैं क‍ि रासायन‍िक खादों के इस्तेमाल के असंतुलन की वजह से जमीन में पोषक तत्वों की कमी हो गई है. इस समय देश में सालाना 12 से 13 लाख टन ज‍िंक की जरूरत है. जबक‍ि 2 लाख टन का ही इस्तेमाल हो रहा है. हर काम के ल‍िए नाइट्रोजन का इस्तेमाल हो रहा है, जो ठीक नहीं है. अगर जमीन में क‍िसी भी माइक्रो न्यूट्र‍िएंट की कमी है तो उसकी कमी कृष‍ि उपज में भी द‍िखती है. उत्पाद की गुणवत्ता ठीक नहीं होती. 

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